बदायूं जिले की पुलिस इंसानों की सुरक्षा नहीं कर पा रही है, यहाँ इंसानों की हत्यायें होना सामान्य वारदात माना जाता है, ऐसे में तेंदुआ की हत्या को पुलिस द्वारा गंभीरता से लेने की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वन विभाग के अफसर यहाँ क्यों तैनात हैं, यह शोध का विषय हो सकता है। पुलिस और वन विभाग के होते हुए इंसानों द्वारा तेंदुआ की दरिंदगी वाले अंदाज में खुलेआम हत्या कर दी गई है लेकिन, पुलिस-प्रशासन पर कोई असर नहीं दिख रहा है।
सनसनीखेज वारदात सहसवान कोतवाली क्षेत्र के गाँव जरीफपुर गढ़िया की है, यहाँ राह भटक कर किसी तरह एक तेंदुआ आ गया, जिसने अपने बचाव में कुछ युवकों पर हमला कर दिया। मोहन नाम का युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। चूंकि इंसान घायल हो गया, सो एक तेंदुआ के विरुद्ध सैकड़ों सशस्त्र इंसान एकजुट हो गये। पुलिस और वन विभाग के अफसरों को सूचना देने की जगह लाठी-डंडों और ट्रैक्टर-ट्रॉली से इंसानों की भीड़ तेंदुआ को रौंदने लगी। अंत में भीड़ जीत गई। ट्रैक्टर से इंसानों ने तेंदुआ को रौंद दिया।
ट्रैक्टर-ट्रॉली से कुचने के बाद भी इंसानों की भीड़ को शांति नहीं मिली। तेंदुआ ने इंसान पर हमला करने का अक्षम्य अपराध किया था, इसलिए मौत के बाद भी उसका शव इधर-उधर घसीटा गया, लाठी और डंडों से शव पीटा गया और इंसानों द्वारा जीत का जश्न मनाया गया। जो भी इंसान आ रहा था, वह तेंदुआ के शव पर गुस्सा निकलता नजर आ रहा था।
चौंकाने वाली बात यह है कि घटना शाम की है लेकिन, रात के 10 बजे तक भी वन विभाग के अफसरों को घटना के बारे में जानकारी तक नहीं थी, ऐसे में उनसे जीवों की रक्षा की कल्पना भी नहीं की जा सकती। शव घटना स्थल पर ही पड़ा है, जहाँ जिसके मन में जो आ रहा है, वह शव के साथ वही कर रहा है। अब देखना यह है कि वरिष्ठ अफसरों में संवेदना है कि नहीं, वे दरिंदी भीड़ और दोषी अफसरों के विरुद्ध क्या कार्रवाई करते हैं, क्योंकि क्षेत्रीय अफसरों की तो बात ही छोड़िये, डीएफओ तक जिले से ही बाहर बताये जा रहे हैं।
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