बदायूं जिले में रिश्वत लेते हुए वीडियो वायरल होने के बाद समूचे पुलिस विभाग की जमकर फजीहत हो रही है पर, अफसर भ्रष्ट सब-इंस्पेक्टर वारिश खान को बचाते नजर आ रहे हैं। वारिश खान पर होने वाली कार्रवाई के बीच में कोतवाल हरेन्द्र सिंह रोड़ा बने हुए हैं, वे अफसरों पर कार्रवाई न करने का लगातार दबाव बनाये हुए हैं, जबकि हरेन्द्र सिंह का तबादला मेरठ जोन में महीनों पहले हो चुका है।
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उल्लेखनीय है कि कोतवाली सहसवान में मुकदमा अपराध संख्या- 0034/20 धारा- 452, 323, 324, 376, 511 आईपीसी के अंतर्गत दर्ज किया गया था, जिसकी विवेचना सब-इंस्पेक्टर वारिश खान को दी गई थी। आरोप है कि वारिश खान ने रिश्वत लेकर नामजदों को विवेचना में ही दोष मुक्त कर दिया। सब-इंस्पेक्टर वारिश खान के वीडियो और ऑडियो वायरल भी हुए थे, जिसमें वह आरोपियों से दलाल के घर में रिश्वत लेता नजर आ रहा है। दलाल के घर में रूपये लेकर जेब में रखते हुए वारिश खान स्पष्ट दिखाई दे रहा है, इसके अलावा ऑडियो में वारिश खान पीड़ित को आश्वस्त कर रहा है कि वह पीड़िता के बयान के बाद सबके नाम निकाल देगा, साथ ही अन्य ऑडियो में दलाल पीड़ित को कई सुझाव देता हुआ सुनाई दे रहा है।
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वायरल हुए वीडियो और ऑडियो से स्पष्ट है कि वारिश खान ने रिश्वत लेने जैसा गंभीर अपराध किया है लेकिन, अफसर प्रकरण को गंभीरता से नहीं ले रहे, क्योंकि गणतंत्र दिवस के समारोह में भ्रष्ट वारिश खान को राज्यमंत्री महेश चंद्र गुप्ता से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित कराया गया था।
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यह भी बता दें कि पीड़ित पक्ष ने जिलाधिकारी कुमार प्रशांत से शिकायत की थी, जिसमें कार्रवाई कराने एवं विवेचना बदलवाने की मांग की गई। डीएम ने एसएसपी को कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे लेकिन, प्रार्थना पत्र एसएसपी कार्यालय से होते हुए सहसवान कोतवाली ही पहुंच गया। हालाँकि सूत्रों का यह भी कहना है कि अफसर कार्रवाई करना चाहते हैं पर, कोतवाल हरेन्द्र सिंह वारिश खान पर कार्रवाई नहीं होने दे रहे हैं।
कोतवाल हरेन्द्र सिंह का तबादला महीनों पहले मेरठ जोन हो चुका है लेकिन, उन्हें रिलीव नहीं किया गया, ऐसे में स्पष्ट है कि कोतवाल हरेन्द्र सिंह का वारिश खान को खुला संरक्षण प्राप्त है, साथ ही हरेन्द्र सिंह विभाग में हावी हैं तभी, वे रिलीव नहीं किये जा रहे हैं। कुछ भी हो पर, पूरे प्रकरण से अफसरों और विभाग की जमकर फजीहत हो रही है।
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