बदायूं जिले में नाबालिग लड़की परिवार, पुलिस, समाज और आरोपियों के बीच में पिस गई। नाबालिग ने जान दे दी। नाबालिग होने के बावजूद यौन उत्पीड़न के प्रकरण को नकार रही पुलिस अब कह रही है कि जो भी तथ्य प्रकाश में आयेंगे, उस आधार पर कार्रवाई करेगी। प्रकरण क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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उल्लेखनीय है कि मंगलवार को मूसाझाग थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि उसकी नाबालिग बहन को स्कूल में ले जाकर तीन लोगों ने बेरहमी से यौन उत्पीड़न किया। पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा अपराध संख्या- 180/18 धारा- 376डी, 323, 504, 506 आईपीसी व 5/6 पॉस्को अधिनियम के अंतर्गत दर्ज कर लिया था और पीड़िता को मेडिकल परीक्षण के लिए भेज दिया था। पुलिस ने तीन नामजद अभियुक्तों में से एक मुख्य अभियुक्त को गिरफ्तार भी कर लिया था।
बुधवार को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ने बताया कि मेडिकल परीक्षण में रेप की पुष्टि नहीं हुई है, साथ ही बताया कि लड़की गिरफ्तार किये गये लड़के से देर रात तक फोन पर बात करती थी, पिछले महीने में दोनों के बीच 122 बार बात हुई है, मतलब पुलिस प्रेम संबंध मान रही थी और पुलिस ने लड़की के नाबालिग होने की बात को पूरी तरह दबा दिया।
नाबालिग लड़की परिवार, पुलिस, समाज और आरोपियों के बीच में असहज हो गई होगी, उसने इन सबके बीच में पिसने की जगह जान देना आसान समझा होगा, सो उसने जान दे दी। पुलिस परिजनों को संदेह की दृष्टि से देख रही है और जांच में सामने आने वाले तथ्यों के आधार पर कार्रवाई करने का दावा कर रही है। शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। परिजन आरोपियों पर दबाव बनाने का आरोप लगा रहे हैं।
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