बदायूं जिले में पुलिस जमकर मनमानी करती नजर आ रही है। दीपावली की मस्ती में परिजन घर के अंदर एक-दूसरे से शर्त लगाते हुए खेल रहे थे, इस दौरान पुलिस ने घर में आकर जमकर तांडव कर दिया। परिजनों के साथ मोहल्ले के लोग भी पुलिस की मनमानी के विरुद्ध एकजुट हो गये तो, पुलिस वाले भाग गये। मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में न जाये, जिससे सुबह को सिपाही ने गले मिल कर मामले को खत्म करने का भी प्रयास किया।
प्रकरण जरीफनगर का है। दीपावली के अवसर पर परिवार के अधिकांश सदस्य इकट्ठा हो जाते हैं, सो सभी मिल कर रात में शर्त लगा कर मस्ती कर रहे थे, इसकी भनक किसी तरह पुलिस को लग गई। राकेश नाम के सिपाही ने घर में दबिश दे दी और परिजनों के साथ अभद्रता शुरू कर दी। चूंकि परिजन कोई गुनाह नहीं कर रहे थे, सो राकेश सिपाही से अभद्रता करने और दबिश देने का कारण पूछने लगे, जिस पर सिपाही ने उल्टा जवाब देकर परिजनों को दबाव में लेना चाहा।
रात में शोर सुन कर मोहल्ले के लोग भी जमा हो गये। मोहल्ले वालों को पुलिस की हरकत के बारे में ज्ञात हुआ तो, सब आक्रोशित हो उठे। एकजुट लोग पुलिस से जवाब मांगने लगे। मामला बिगड़ता देख पुलिस वाले रात में बच कर भाग गये। रात की घटना उच्चाधिकरियों के संज्ञान में न पहुंचे, सो सुबह को सिपाही राकेश ने मोहल्ले के प्रतिष्ठित लोगों से मिल कर बात की और गले मिल कर मामले को दबाने का प्रयास किया।
खैर, सवाल यह है कि 2019 में भी पुलिस मानवाधिकारों को लेकर गंभीर क्यों नहीं है, पुलिस मनमानी क्यों करती रहती है, रिश्वत के लालच में कानून को हाथ में क्यों ले लेती है, पुलिस ग्रामीण जनता को जानवर से बदतर क्यों समझती है? पुलिस आम जनता से सद्व्यहार करे, इसके लिए घटनाओं को अफसर गंभीरता से लेना शुरू करें और ऐसी हर हरकत संज्ञान में आते ही कड़ी कार्रवाई करें, जिससे रिश्वतखोरी और मनमानी की वारदातों पर स्वतः रोक लग जायेगी।
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