बदायूं जिले में जंगलराज नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री के कड़े आदेशों के बावजूद पुलिस खुलकर मनमानी करती नजर आ रही है। दो नाबालिग लड़कियाँ गायब हो गईं, जिन्हें पुलिस ने लड़कियों को दिल्ली से बरामद भी कर लिया लेकिन, पुलिस ने वारदात को लेकर कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया है, ऐसे में दिल्ली में कोई और वारदात घटित हो जाती तो, उसका जिम्मेदार कौन होता?
सनसनीखेज प्रकरण इस्लामनगर थाना क्षेत्र के गाँव सागर सराय पतीसा का है, यहाँ शुक्रवार शाम को आस-पास रहने वाली 15 वर्ष की दो लड़कियाँ अचानक गायब हो गईं। पीड़ित परिवार पुलिस की शरण में गया पर, पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया लेकिन, थाना प्रभारी ने परिजनों की आशंका पर पुलिस की एक टीम दिल्ली के लिए रवाना कर दी। सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने लड़कियों को दिल्ली में बरामद कर लिया है लेकिन, पुलिस अभी लड़कियों को लेकर वापस नहीं आई है।
सवाल उठता है कि दिल्ली में लड़कियों और पुलिस के साथ कोई और वारदात घटित हो जाती तो, उसकी जिम्मेदारी किसकी होती? जीडी पर दर्ज किये बिना पुलिस टीम दिल्ली कैसे चली गई? अफसरों के आदेश के बिना पुलिस टीम दिल्ली कैसे चली गई? अफसरों को पता था तो, अफसरों ने नियम के विरुद्ध टीम दिल्ली क्यों जाने दी?
तमाम सवाल और भी है, जो यह सिद्ध करने के लिए काफी हैं कि जिले की पुलिस खुल कर और जमकर मनमानी कर रही है। नियम और कानून का यहाँ कोई मूल्य नहीं बचा है। पुलिस स्वयं ही तय कर लेती है कि क्या करना है और फिर वही करती है। जहाँ नियम और कानून को अहमियत न दी जाये, उसे ही जंगलराज कहते हैं, ऐसे में यह कहना अतिशियोक्ति न होगा कि जिले में जंगल की तरह ही पुलिस मनमानी कर रही है।
घटना के बारे में सूत्रों का कहना है कि संभल जिले में स्थित धनारी थाना के गाँव कऊआ खेड़ा का का लड़कों का एक गैंग नाबालिग लड़कियों को उठा ले गया था लेकिन, इस बारे में पुलिस कुछ बता ही नहीं रही है, जबकि दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने कानून व्यवस्था को लेकर कड़े आदेश दिए थे। मुख्यमंत्री के आदेश को हवा में उड़ा दिया गया है।
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