बदायूं जिले में दरिंदे एक विवाहिता को नोंच रहे थे और उस समय पुलिस शराब के नशे में झूम रही थी। सब कुछ बर्बाद होने के बाद विवाहिता ग्रामीणों की शरण में पहुंची तो, आक्रोशित ग्रामीणों ने दरिंदों को दबोच लिया और अधमरा कर के पुलिस के हवाले कर दिया। त्वरित कार्रवाई करने की जगह पुलिस क्षेत्र के विवाद में उलझी हुई है।
दिल दहला देने वाली वारदात फैजगंज बेहटा थाना क्षेत्र की है। बताते हैं कि बरेली जिले के थाना बिसारतगंज क्षेत्र में स्थित एक गाँव में शुक्रवार शाम को बच्चों की पढ़ाई को लेकर पति-पत्नी में विवाद हो गया। विवाद के बाद पति घर से चला गया और पत्नी से कह आया कि वह ट्रेन से कटने जा रहा है।
पत्नी डर गई और पति के पीछे दौड़ पड़ी। शाम लगभग 8 बजे स्टेशन पर ट्रेन खड़ी थी, सो वह ट्रेन में चढ़ कर डिब्बों में पति को खोजने लगी। ट्रेन संख्या- 54077 निसोई स्टेशन पर आ गई, यहाँ उसने बिसारतगंज निवासी वेंडर नरेश पुत्र रामफल से पति को तलाशने में मदद मांगी। नरेश मदद करने लगा और फिर सहानुभूति जताते हुए उसने महिला को सिसरका स्टेशन पर उतार लिया।
सिसरका स्टेशन पर अमर सिंह पुत्र हरी सिंह निवासी सेंटा खेड़ा कोतवाली बिसौली टोकन देने का कम करता है, वह नरेश का पहले से परिचित है। नरेश ने अमर सिंह के साथ मिल कर योजना बनाई , फिर दोनों स्टेशन के बराबर में खाली पड़े कमरे में महिला को ले गये, जहाँ दोनों ने मिल कर महिला का यौन उत्पीड़न किया। 28 वर्षीय महिला चीखती रही पर, दरिंदों पर कोई असर नहीं हुआ।
यौन शोषण के बाद महिला को दरिंदों ने मुक्त कर दिया तो, उसने स्टेशन मास्टर को घटना के बारे में बताया पर, कोई मदद नहीं मिली। बदहवास पीड़ित पड़ोस के ही गाँव पिपरिया पहुंच गई और वहां प्रधान के घर पर जाकर शरण ली। प्रधान घर पर नहीं था। प्रधान की पत्नी ने प्रधान को जानकारी दी, फिर ग्रामीण इकट्ठे होकर स्टेशन पर पहुंच गये।
यौन उत्पीड़न करने वाले दरिंदे स्टेशन पर ही थे, जिन्हें महिला ने पहचान लिया, दोनों को पकड़ कर भीड़ ने जमकर पीटा। बताते हैं कि अलग-अलग लोगों ने फैजगंज बेहटा थाना पुलिस को लगातार फोन किये लेकिन, नशे में धुत पड़ी पुलिस ने फोन ही नहीं उठाया। एक बार एसओ से किसी की बात हुई भी पर, पुलिस मौके पर नहीं पहुंची, इस दौरान किसी ने चीता मोबाईल को कॉल की तो, सिपाही नीलेश कुमार मौके पर पहुंच गया।
सिपाही नीलेश ने दरिंदों को भीड़ से बचाया और फिर दोनों को थाने ले आया, इसके बाद भी पुलिस ने त्वरित कार्रवाई नहीं की। पुलिस का प्रयास रहा कि मुकदमा न लिखना पड़े। पुलिस जीआरपी का कार्यक्षेत्र बता कर टालने में जुटी रही, इसीलिए अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है।
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