बदायूं जिले की पुलिस आपराधिक वारदातें रोकने में भले ही असफल साबित हो रही हो लेकिन, फर्जीवाड़ा करने में माहिर है। सतर्क व साहसिक ग्रामीणों ने मांस तस्कर को दबोच लिया और फिर पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस गुड वर्क दर्शा कर बेशर्मी के साथ खुलेआम अपनी पीठ थपथपा रही है।
फैजगंज बेहटा थाना क्षेत्र में लंबे समय से घुमंतू पशुओं को तस्करों द्वारा काटा जा रहा है। कई घटनायें हो चुकी हैं लेकिन, पुलिस कुछ नहीं कर पा रही थी तो, क्षेत्र के ग्रामीण स्वयं ही सतर्क हो गये और तस्करों पर नजर रखने लगे। बताते हैं कि गाँव गंगापुर सराय के साहसिक लोगों ने बीती रात तस्करों को दौड़ा लिया तो, फैजगंज बेहटा निवासी इरफान कुरैशी पुत्र यामीन कुरैशी को मांस, बाइक और उपकरणों सहित दबोच लिया, उसके अन्य बाइक सवार साथी भाग गये। ग्रामीणों ने अभियुक्त मांस, बाइक और उपकरणों सहित पुलिस के हवाले कर दिया।
थाना पुलिस का कहना है कि उसने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार के निर्देश पर चलाये जा रहे अपराध एवं अपराधियों के विरुद्ध धरपकड़ अभियान के अन्तर्गत बीती रात गश्त के दौरान इरफान कुरैशी पुत्र यामीन कुरैशी को 50 किलो गौवंशीय मांस व मांस काटने के उपकरण सहित गिरफ्तार किया है, उसने फखरुद्दीन पुत्र शम्मू निवासी फैजगंज बेहटा, फिरोज हसन पुत्र नामालूम निवासी मोहल्ला कटरा कस्बा बिसौली और शाहरुख धोबी पुत्र हबीब शाह निवासी फैजगंज बेहटा के नाम बताये हैं, जो अँधेरे व जंगल का फायदा उठाकर मौके से भाग गये, इस पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा थाना फैजगंज बेहटा पुलिस प्रशंसा की गयी है।
फैजगंज बेहटा थाना पुलिस की फर्जी कहानी को शीर्ष अफसरों को तत्काल संज्ञान में लेना चाहिए, ताकि फर्जीवाड़ा करने की परंपरा पर तत्काल प्रभाव से रोक लग सके। साहसिक कार्य ग्रामीणों ने किया है, इसलिए इस घटना का श्रेय उन्हीं को मिलना चाहिए, इससे अन्य ग्रामीणों को भी प्रेरणा मिलेगी, जिससे वे अपराधियों के प्रति और सक्रियता से कार्य करेंगे। ग्रामीणों के साहसिक कार्य को दबाने से उनका मनोबल गिरेगा, साथ ही उनकी नजर में पुलिस की भी छवि खराब होगी।
इसी तरह कादरचौक के एसओ न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करने के दोषी पाये गये हैं। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 2 अगस्त को धारा- 156 (3) के अंतर्गत सुनवाई के बाद मुकदमा दर्ज करने का एसओ को आदेश दिया था पर, एसओ ने मुकदमा दर्ज कर न्यायालय को अभी तक अवगत नहीं कराया है, इस पर तेजतर्रार सीजेएम अमरजीत सिंह ने एसओ को व्यक्तिगत रूप से 14 सितंबर को पेश होकर यह स्पष्ट करने का आदेश दिया है कि क्यों न 29 पुलिस एक्ट और धारा- 166 (ए) के अंतर्गत उन्हें दंडित कर दिया जाये।
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