बदायूं जिले में किसानों की स्थिति निरंतर खराब होती जा रही है। अन्न दाता को सम्मान की जगह न सिर्फ दुत्कार मिल रही है बल्कि, मुकदमा भी दर्ज करा दिया गया है, जबकि पुलिस घटना होने से मना कर रही थी। कोतवाल अपने अफसरों को भी भ्रमित कर रहे थे। भ्रमित करने वाले कोतवाल पर कार्रवाई होना जरूरी है ताकि, भ्रमित करने की परंपरा न बने।
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उल्लेखनीय है कि नौ दिसंबर की देर शाम बिसौली कोतवाली क्षेत्र में यदु सुगर मिल पर गन्ना किसानों के साथ अभद्रता की गई। भयंकर ठंड के बावजूद किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली में गन्ना लादे घंटों खड़े रहते हैं। हाईवे पर भी लंबी लाइनें लगी रहती हैं, किसानों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं की गई है और न ही अलाव लगाये गये हैं। प्रशासनिक मिलीभगत के चलते मिल प्रबंधन दबंगई करता है। किसानों से अभद्रता के चलते ही बवाल हो गया था। लाठी-डंडों से किसानों को पीटा गया, फायरिंग होने की भी बात सामने आई थी।
यदु सुगर मिल प्रबन्धन और पुलिस घटना होने से मना कर रहे थे। प्रकरण उच्चाधिकरियों के संज्ञान में पहुंचा तो, कोतवाल ने अफसरों को बताया था कि किसान आपस में उलझ गये थे, मिल प्रबन्धन से घटना का कोई संबंध नहीं है पर, दो दिन बाद कोतवाल ने मिल की ओर से किसानों के विरुद्ध नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया। अन्न दाता को सही मूल्य नहीं मिल रहा, घटतौली की समस्या है, दुत्कार मिल रही है और अब मुकदमा भी दर्ज कर दिया। मुकदमा मिल प्रबन्धन पर दर्ज होना चाहिए था लेकिन, अपराधी किसान बना दिए, जैसे खेती करना बड़ा गुनाह है। अब देखते हैं कि भ्रमित करने वाले कोतवाल पर अफसर क्या कार्रवाई करते हैं?
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