बदायूं में एक ऐसी लड़की है, जो गरीबों और बच्चों को देखती है तो, भावुक हो जाती है, वह गरीबों और बच्चों को अपना सब कुछ अर्पण कर देना चाहती है, उसे गरीबों और बच्चों को खुश कर के असीम शांति मिलती है, आनंद आता है पर, यह सब वह निःस्वार्थ भाव से करती है, वह इस सबका प्रचार-प्रसार भी नहीं करती लेकिन, उसका सपना है कि वह बहुत बड़े स्तर पर दूर-दूर तक जाये और गरीबों एवं उनके बच्चों की सेवा करे।
जी हाँ, नाम है रिदा खान, वह स्वर्गीय चेयरमैन शब्बीर हसन खान की पौत्री है और समाजवादी पार्टी के नेता तनवीर खान की बेटी है। रिदा का मतलब होता है आयत लिखी हुई चादर, सो वह नाम के अनुरूप ही है, वह गरीबों और बच्चों के लिए सुख व खुशी की चादर बनने का प्रयास करती रहती है। रिया के साथ अच्छी बात यह है कि उसे ऐसे माता-पिता मिले, ऐसा परिवार मिला, जहाँ उसका पालन-पोषण लड़की की तरह नहीं बल्कि, लड़के की तरह हुआ। जिस समाज में लड़कियों के लिए हजार तरह की बंदिशें हों, उस परिवेश में वह लड़कों की तरह बाइक और स्कूटी दौड़ा लेती है, वह ऐसा इसलिए कर पाती है कि उसके माँ-बाप उसे बेहतर सोच और स्वतंत्रता दे पाये।
रिदा खान का निकाह हो चुका है पर, उसे शौहर मुशिर अली भी प्रगतिशील विचारों वाले मिले हैं, वे बैंकिंग क्षेत्र में जॉब करते हैं। रिदा कहती हैं कि पापा के विचारों की तरह ही शौहर के विचार न होते तो, वह हाउस वाइफ ही बन कर रह जाती, वह निकाह के समय ग्रेजुएट थी पर, शौहर ने बरेली से एमएसडब्ल्यू और अलीगढ़ से डिप्लोमा हासिल करने को सहमति दी, साथ ही सामाजिक कार्यों में भी दिल से मदद करते हैं। रिदा भाग्यशाली हैं, जो उन्हें मायके जैसी ही ससुराल मिली है।
रिदा खान को गरीबों और बच्चों के चेहरों पर खुशी लाने की लत सी है, वह उनके लिए कुछ न कुछ हर समय करती ही रहती हैं, वह उनकी मदद जरूरत के अनुसार भी करती हैं। ठंड में कपड़े बांटना, राशन दे देना, दवा देना या, किसी ने कोई विशेष जरूरत बताई तो, उसे पूरी कर देना उनका स्वभाव है, वे कई तरह के कार्यक्रम भी कर चुकी हैं। बदायूं के अलावा वे बरेली में भी गरीबों और बच्चों की मदद करती रहती हैं। कुछ खास न हो तो, रिदा बच्चों को ठंड में चाय और गर्मी में आइसक्रीम बांटने ही पहुंच जाती हैं, वे हर गुरुवार को बड़े सरकार की ज्यारत पर बच्चों के साथ रहती हैं और उन्हें कुछ न कुछ खाने को देती हैं।
रिदा खान का खुशी बांटना स्वभाव बन गया है, ऐसी लड़की के साथ सामाजिक कार्य करने वाले अन्य लोगों को भी जुड़ना चाहिए, वे आरटीएम सोसायटी फॉर सोशल डवलपमेंट नाम से एक संस्था भी संचालित करती हैं, जिससे जुड़ पर लोग उनका हाथ बंटा सकते हैं, वे इस संस्था के माध्यम से कई कार्यक्रम करा चुकी हैं और असंख्य लोगों को लाभान्वित कर चुकी हैं।
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