बदायूं में आवारा पशुओं का उपचार करने को लेकर अपनी पहचान बना चुके विकेंद्र शर्मा के साथ लोग जुड़ने लगे हैं। पशुओं के उपचार के लिए दवा और उपकरण भी देने लगे हैं। जिस समाज में आवारा जानवरों की जान की परवाह कोई नहीं करता था, उस समाज में लोग जानवरों के भी दर्द की अनुभूति करने लगे हैं, जो विकेंद्र शर्मा की बड़ी सफलता कही जायेगी।
पीपल फॉर एनिमल्स और मदद एक कारवां के अध्यक्ष विकेंद्र शर्मा ने जीव-जन्तुओं की सेवा करने के लिए शिक्षक की जॉब तक छोड़ दी, वे रात-दिन घायल आवारा जानवरों की देख-भाल करने और उनका उपचार करने में जुटे रहते हैं। भाजपा सरकार में गाय और सांड की संख्या बढ़ गई है, जो किसी न किसी तरह आये दिन घायल होते रहते हैं, इसी तरह आवारा कुत्ते आपस में लड़ कर अथवा, हादसे का शिकार होकर अक्सर घायल हो जाते हैं, जिनमें कीड़े तक पड़ जाते हैं। कीड़े और दुर्गन्ध के कारण जिन कुत्तों को लोग देखना तक पसंद नहीं करते, ऐसे कुत्तों को विकेंद्र घर जे जाते हैं, उनका उपचार करते हैं और पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद छोड़ देते हैं, इसी तरह वे घायल गाय-सांड की सेवा करते हैं। अब हालत यह हो गई है कि नगर निकाय के कर्मचारी और प्रशासनिक अधिकारी घायल गाय की सूचना विकेंद्र को ही देते हैं।
इसके अलावा विकेंद्र को सांप पकड़ने में भी महारथ हासिल है। डीएम की कोठी हो, एसएसपी की कोठी हो, सीओ का बंगला हो या, आम आदमी के घर में सांप निकले, हर कोई अब विकेंद्र को ही याद करता है। विकेंद्र भी कभी आलस्य नहीं करते, वे कॉल आते ही दौड़ पड़ते हैं और सांप को पकड़ कर जंगल में छोड़ आते हैं। सांप को अगर, घायल कर दिया है तो, विकेंद्र सांप को घर ले जाते हैं, उसका उपचार करते हैं और सही होने के बाद जंगल में छोड़ देते हैं। विकेंद्र की लगन और मेहनत से तमाम लोग प्रेरित हो रहे हैं, जिससे न सिर्फ जानवरों के दर्द को समझने लगे हैं बल्कि, विकेंद्र को दवायें और उपकरण भी देने लगे हैं।
राजेन्द्र मथुरिया ने घायल कुत्ते रखने को एक पिंजड़ा, जसपाल सिंह ने एक छोटा पिंजड़ा, हरिओम साहू ने एक पिंजड़ा, रजत गोयल ने एक पिंजड़ा, गौरव रस्तोगी ने एक पिंजड़ा, सचिन सपड़ा और उनकी पत्नी ने मेघा बवेजा ने दो पिंजड़ा, दीपा कश्यप और उनकी माँ ने एक पिंजड़ा दान दिया है। पिंजड़े की कीमत तीन हजार रूपये की है लेकिन, बिट्टू पेट शॉप के स्वामी मो. शादाब ने थोक भाव के रूपये ही लिए हैं।
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