बदायूं की सदर कोतवाली पुलिस ने बड़ा खेल कर दिया। प्रत्यक्षदर्शी स्तब्ध नजर आ रहे हैं लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस कुछ भी मानने को तैयार नहीं है। पुलिस झूठ क्यों बोल रही है?, यह जांच का विषय है। जिले में एसएसपी संकल्प शर्मा तेजतर्रार और ईमानदार कहे जाते हैं, उनके संज्ञान में पूरा प्रकरण पहुंचा तो, घपला करने वाले पुलिस कर्मी कार्रवाई से बच नहीं पायेंगे।
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उल्लेखनीय है कि सोमवार को समाजवादी पार्टी ने किसानों के हित में प्रदर्शन किया था, इस दौरान पहले जिला अस्पताल वाले मार्ग पर और बाद में सपा कार्यालय पर सरकार का पुतला फूंका गया। सपा कार्यालय पर सपा कार्यकर्ताओं की पुतला फूंकने को लेकर पुलिस से छीना-झपटी और नोंक-झोंक भी हुई, इस वारदात को पुलिस पहले स्पष्ट नकार रही थी लेकिन, बाद में वीडियो वायरल होने पर पुलिस ने सपा कार्यालय पर सरकार का पुतला फूंकने को लेकर स्वाले चौधरी, भानु यादव, फरहत अली, साजिद, जहांगीर और सदाकत के विरुद्ध धारा- 147, 269, 270, 285, 353, 332 और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 1932 की धारा- 7 आईपीसी के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया था।
बताते हैं कि मंगलवार को पुलिस ने नामजद फरहत को घर से गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के समय मोहल्ले के तमाम लोग जमा हो गये थे। पुलिस फरहत को कोतवाली ले गई थी लेकिन, यह बात मीडिया को नहीं बताई गई। पूछने पर भी पुलिस फरहत की गिरफ्तारी से मना करती रही लेकिन, सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने फरहत को थाने से ही जमानत पर रिहा कर दिया। हालंकि पुलिस अभी भी गिरफ्तारी और जमानत देने से स्पष्ट मना कर रही है।
पुलिस के मना करने से ही तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं कि पुलिस ऐसा क्यों कर रही है? पुलिस किस के दबाव में मना कर रही है? पुलिस ने किसके दबाव में जमानत दे दी? असलियत क्या है?, इसका पता अब जाँच के बाद ही चल सकता है। तेजतर्रार और ईमानदार एसएसपी संकल्प शर्मा के संज्ञान में प्रकरण पहुंचा तो, माना जा रहा है कि उक्त प्रकरण में घपला करने वाले पुलिस कर्मी कार्रवाई से बच नहीं पायेंगे।
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