बदायूं जिले में समाजवादी पार्टी की आधारशिला रखने वाले और बदायूं जिले को समाजवादी पार्टी का गढ़ बनाने वाले स्वर्गीय बनवारी सिंह यादव की 72वीं जयंती के अवसर पर भव्य आयोजन किया गया। बनवारी सिंह यादव के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा करते हुए धर्मेन्द्र यादव न सिर्फ भावुक हो गये बल्कि, फफक-फफक कर रो पड़े, जिससे प्रत्येक व्यक्ति की ऑंखें भर आईं।
स्वर्गीय बनवारी सिंह यादव की जयंती पर नौशेरा स्थित फॉर्म हाउस पर उनके सुपुत्र पूर्व विधायक आशीष यादव ने भव्य समारोह आयोजित किया। चित्र पर माल्यापर्ण और पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद समारोह के मुख्य अतिथि धर्मेन्द्र यादव ने जन-समूह को संबोधित करते हुए कहा कि कि स्वर्गीय बनवारी सिंह यादव ने नेता जी (मुलायम सिंह यादव) के साथ कड़ी मेहनत से पार्टी को ऊंचाईयों तक पहुंचाया, उनकी मेहनत व परिश्रम से बदायूं को समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता रहा है। एक समय जिले में सांसद, विधायक व अन्य जन-प्रतिनिधियों के साथ समस्त राजनैतिक पदों पर समाजवादी पार्टी के नेता व कार्यकर्ता ही चुने जाते थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के पिछड़े, दबे-कुचले लोगों के लिये संघर्ष करते हुए बिता दिया। स्वर्गीय बनवारी सिंह यादव के बारे में चर्चा करते हुए धर्मेन्द्र यादव इतने भावुक हुए कि माइक पर ही फफक-फफक कर रो पड़े।
उन्होंने कहा कि स्वर्गीय बनवारी सिंह यादव को प्रदेश का मिनी मुख्यमंत्री भी कहा जाता था, वे नेता जी के अति विश्वनीय लोगों में से थे। वर्ष- 2009 के लोकसभा चुनाव में विषम परिस्थितियों के बावजूद अपने राजनैतिक कौशल व अनुभव के बल पर उन्होंने मुझे यहां से जिताया। समाजवादी पार्टी को उनकी कमी हमेशा खलती रहेगी व कोई भी व्यक्तित्व उनकी कमी को पूरा नहीं कर सकता। आज उनकी जयंती के मौके पर हम सभी पार्टी के कार्यकर्ता संकल्प लेते हैं कि आने वाले चुनावों में बदायूं जिले की सभी सीटें जीतें, यही स्वर्गीय बनवारी सिंह यादव को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इससे पहले आशीष यादव ने कहा कि धर्मेन्द्र यादव की इच्छा थी कि बाबू जी के नाम पर कोई बड़ा कार्यक्रम किया जाये, इसलिए हम सब यहाँ आज इकट्ठा हुए हैं, उनके पिता विधायक और मंत्री थे, पार्टी के जिलाध्यक्ष थे, उनके पिता पर परिवारवाद का आरोप न लगे, इसलिए वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे लेकिन, नेता जी ने उनके पिता से कहा कि बेटे को चुनाव लड़ाओ तो, लड़ना पड़ा और जीत भी गये लेकिन, उनके अंदर पिता जैसा अनुभव नहीं है, उनके जैसा संघर्ष करने की शायद, क्षमता नहीं है, वे स्वीकार करते हैं कि शायद, इसीलिए धर्मेन्द्र यादव चुनाव हार गये लेकिन, वे समाजवादी पार्टी के कट्टर सिपाही हैं, वे सपा के झंडे में ही लिपट कर मरना चाहेंगे, उनका रोम-रोम सपा का है। उन्होंने कहा कि किसी के लिए सपा पार्टी होगी पर, उनके लिए सपा आत्मा है, ऐसा कहते हुए वे भी भावुक हो गये। बड़ी ही साफगोई से उन्होंने अपनी बात रखी, जिससे उपस्थित जन-समूह उनका दीवाना हो गया।
इस दौरान सपा जिलाध्यक्ष प्रेमपाल सिंह यादव, विधायक व पूर्व राज्यमंत्री ओमकार सिंह यादव, पूर्व राज्यमंत्री विमल कृष्ण अग्रवाल “पप्पी भैया”, डॉ. यासीन उस्मानी, नईमुल हसन “लड्डन मियाँ”, पूर्व विधायक आशुतोष मौर्य, सुरेश पाल सिंह चौहान, ब्रजेश यादव, हिमांशु यादव, अवनीश यादव, कैप्टन अर्जुन सिंह, यासीन गद्दी, अशोक यादव, बलबीर सिंह यादव, उदयवीर शाक्य, किशोरी लाल शाक्य, डॉ. शकील अहमद, सरवन सिंह, ठा. श्रीपाल सिंह, ठा. सुखवीर सिंह, हितेंद्र शंखधार, मो. नजर, सलीम अहमद, स्वाले चौधरी, चौ. नरोत्तम सिंह, राजू यादव, उमर कुरैशी, वकार अहमद खाँ, गुलफाम सिंह यादव, प्रेमसिंह यादव, ओमवीर सिंह, नवाब सिंह, महेंद्र प्रताप, रंजीत वार्ष्णेय, मोतशाम सिद्दीकी, नीरज राजपूत, अबरार अहमद, और प्रभात अग्रवाल सहित हजारों लोग मौजूद रहे, इस दौरान स्वर्गीय बनवारी सिंह यादव की पसंद का गीत-संगीत भी हुआ। अध्यक्षता ठा. लल्लू सिंह और संचालन राजीव राज गुप्ता ने किया।
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