बदायूं जिले में सरकारी संरक्षण में भी जमकर लूट हो रही है। एक संविदा कर्मी के सहारे सरकारी और गैर सरकारी लाखों रूपये हड़प लिए गये हैं लेकिन, किसी को कोई अंतर नहीं पड़ रहा। चौंकाने वाली बात यह है कि धन की लूट ऐसे कार्यालय में हुई है, जहाँ वरिष्ठ अफसरों की निगरानी हर समय रहती है, फिर भी अफसर पकड़ नहीं पाये।
जी हाँ, नेशनल इन्फोर्मेशन सेंटर (एनआईसी) में एक संविदा कर्मी के सहारे लाखों रूपये लूट लिए गये हैं, साथ ही लूट निरंतर जारी है। प्रदेश सरकार ने प्रदेश में ई-टेंडर की व्यवस्था लागू कर दी, जिसके लिए डिजिटल सिग्नेचर बनवाने पड़ते हैं। एनआईसी में तैनात संविदा कर्मी हारुन डिजिटल सिग्नेचर बनाने जानता है, इसके माध्यम से ही लाखों रुपया लूटा गया है।
डिजिटल सिग्नेचर बाजार में 700 रूपये में बनाये जा रहे हैं लेकिन, हारून के द्वारा 1883 रूपये वसूले गये हैं, इस घपले में जिला पंचायत राज अधिकारी के कार्यालय की भी संलिप्त बताई जा रही है, क्योंकि जिला पंचायत राज अधिकारी के द्वारा ग्राम पंचायत सचिवों को एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें हारून से डिजिटल सिग्नेचर बनवाने के निर्देश दिए गये थे। निर्देश के अनुसार 1069 ग्राम प्रधानों, लगभग 200 सचिवों के साथ लगभग 1100 ठेकेदारों के डिजिटल सिग्नेचर हारून द्वारा बनाये गये हैं।
प्रधानों, सचिवों और ठेकेदारों की कुल संख्या- 2369 हुई, जिसकी 1883 से गुणा की जाये तो, 4460827 लाख रुपया हजम कर लिया गया है। बताते हैं कि कुछ ग्राम पंचायतों ने चेक दिए हैं और कुछ ग्राम पंचायतों ने कैश भी दिया है। चेक एएमएस आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के नाम दिए गये हैं, इसके अलावा हारुन एनआईसी में जेम पोर्टल के साथ टेंडर खोलने की जिम्मेदारी संभालता है। बताते हैं कि अति गोपनीय कार्यालय में ठेकेदारों को बैठा कर उनके टेंडर भी डालता है, जिसके 700 रूपये प्रति टेंडर वसूलता है।
जेम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने और उसको एप्रूव करने के 1500 रूपये प्रति व्यक्ति वसूलता है, इस रकम को भी जोड़ा जाये तो, कुल रकम करोड़ का आंकड़ा पार कर सकती है। आईटी की उच्च स्तरीय टीम द्वारा जांच कराई जाये तो, टीम पता लगा लगेगी कि किस कंप्यूटर से टेंडर डाले गये हैं और किस कंप्यूटर से टेंडर खोले गये हैं।
पूरा गोलमाल करने में हारून को आगे रखा गया है लेकिन, यह भी स्पष्ट है कि अति गोपनीय कार्यालय में संविदा कर्मी हारून अकेला इतना सब नहीं कर सकता, वह किसी की सहमति से ही इतना सब कर पा रहा होगा। हारुन के विरुद्द मुकदमा दर्ज हुआ और पुलिस ने कड़ाई से पूछ-ताछ की तो, वह घपले में संलिप्त सभी के नाम उजागर कर देगा। अब देखते हैं कि इस बड़े घपले में प्रशासनिक अफसर क्या कार्रवाई करते हैं।
यह भी बता दें कि पिछले दिनों जन सुविधा केंद्र बनाने के नाम पर भी रिश्वतखोरी का मामला उछला था। जांच और कार्रवाई भी हुई लेकिन, असली दोषी कार्रवाई से बच गये थे, इस प्रकरण में असली दोषी न बच जायें, इस बात का ध्यान प्रशासनिक अफसरों को रखना होगा, क्योंकि जब तक असली दोषियों पर कार्रवाई नहीं होगी तब तक, मोहरे बदल-बदल कर एनआईसी में घपले होते रहेंगे।
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