बदायूं जिले में लोकसभा चुनाव के दौरान विकास मुद्दा बना, जिसके बल पर समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेन्द्र यादव विजेता बने, लेकिन विधान सभा चुनाव में विकास का मुद्दा पीछे चला गया और धर्म आगे आ गया, तो समाजवादी पार्टी पिछड़ गई, इन चुनावों से समाजवादी पार्टी ने सबक नहीं लिया। नगर निकाय चुनाव में विकास को मुद्दा बना कर जनप्रिय प्रत्याशियों को टिकट देने की जगह समाजवादी पार्टी धार्मिक कार्ड खेलती नजर आ रही है, वहीं सहसवान में समाजवादी पार्टी पर धोखा देने का भी आरोप लग रहा है, जिसके दुष्परिणाम चुनाव में नजर आ सकते हैं।
समाजवादी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है, लेकिन सपा प्रत्याशी के रूप में हर जगह लोगों ने तैयारी शुरू कर दी है, जिन्हें देख कर समझा जा सकता है कि धार्मिक कार्ड को सपा छुपाने का प्रयास कर रही है, इसीलिए सूची जारी नहीं कर रही है। बदायूं नगर पालिका परिषद के अलावा बिसौली, दातागंज, ककराला, अलापुर, सखानूं, सैदपुर, फैजगंज बेहटा, बिल्सी, सहसवान और इस्लामनगर में मुस्लिम वर्ग के प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि कई स्थानों पर मुस्लिम प्रत्याशियों को लेकर सपा की कड़ी आलोचना की जा रही है। बिल्सी में भी सपा के प्रत्याशी को लेकर नेतृत्व से लोग नाराज बताये जा रहे हैं, जिसका दुष्परिणाम सांसद धर्मेन्द्र यादव द्वारा किये गये कार्यालय के उद्घाटन के समय भी दिखाई दिया। समारोह में नगर क्षेत्र की जगह ग्रामीण क्षेत्र के लोग अधिक थे। वजीरगंज में सपा की और भी बुरी स्थिति है, यहाँ पिछली बार उमर कुरैशी सपा के ही चेयरमैन थे, वे इस बार भी चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उन्होंने सपा से टिकट नहीं माँगा है, यहाँ सपा को अभी तक प्रत्याशी नहीं मिल सका है।
सहसवान नगर पालिका परिषद को लेकर सपा के नेतृत्व की कड़ी आलोचना की जा रही है, यहाँ विधान सभा चुनाव के दौरान मीर हादी अली उर्फ बाबर मियां को निकाय चुनाव में टिकट देने के वादे पर ही शामिल किया गया था, लेकिन उनकी जगह सपा ने किसी और को टिकट दिया है, जिससे आम जनता बेहद आक्रोशित नजर आ रही है। लोग खुलेआम सपा पर धोखा देने का आरोप लगाते नजर आ रहे हैं, जिसका दुष्परिणाम चुनाव में दिख सकता है। उझानी में भी सपा बड़ी गलती करने जा रही थी, लेकिन उद्योगपति घराने की भाजपा में जाने की खबर प्रकाशित होने पर सांसद धर्मेन्द्र यादव ने सुधार कर लिया, वरना यहाँ भी सपा की बड़ी फजीहत होने वाली थी।
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