बदायूं की नगर निकायों में खुलेआम जमकर लूट की जा रही है। लूट करने के इरादे से वेब साइट हैक करने तक की अफवाह फैला दी गई लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि पूरा प्रकरण अफसरों के संज्ञान में है, इसके बावजूद अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है। प्रकरण भाजपा के प्रांतीय उपाध्यक्ष व दर्जा राज्यमंत्री वीएल वर्मा एवं नगर विकास राज्यमंत्री महेश चंद्र गुप्ता के संज्ञान में भी पहुंच गया है।
विभागों में खरीददारी करने में बड़ा भ्रष्टाचार होता था। फर्जी बिल-बाउचर के माध्यम से सरकारी धन का बंदरबाँट हो जाता था। भ्रष्टाचार रोकने के उद्देश्य से सरकार ने खरीददारी करने की व्यवस्था ऑन लाइन कर दी। अब कोई भी विभाग कुछ भी गवर्मेंट ई-मार्केट के माध्यम से ही खरीद सकता है, जो जैम पोर्टल के नाम से जाना जाता है। भ्रष्टाचारियों ने जैम पोर्टल का भी तोड़ निकाल लिया है, जिससे अब ऑफ लाइन से भी ज्यादा बड़ी लूट की जा रही है।
लूट के प्रयास की ताजा वारदात नगर पालिका परिषद उझानी की है। जैम पोर्टल पर दो तरह के टेंडर की व्यवस्था है। खुले टेंडर देश भर में दिखाई देते हैं, जिससे खुले टेंडर पर कोई भी विड लगा सकता है। दूसरी तरह के व्यक्तिगत टेंडर निकाले जाते हैं, जो सबको दिखाई नहीं देते हैं। व्यक्तिगत टेंडर में ही बड़ा गोलमाल किया जा रहा है। उझानी में पिछले दिनों लगभग सवा करोड़ रूपये का सामान खरीदने संबंधी टेंडर निकाला गया, जो खुला टेंडर था। खुला होने के कारण वह टेंडर सबको दिखाई दे रहा था, ऐसे में ईओ धीरेन्द्र कुमार राय अपने चहेते ठेकेदार को टेंडर नहीं दे पाते, सो उन्होंने आनन-फानन में टेंडर डिलीट कर दिया और मीडिया के माध्यम से वेब साइट हैक होने की अफवाह फैला दी।
मीडिया के माध्यम से वेब साइट हैक होने का प्रकरण अफसरों के संज्ञान में पहुंच गया लेकिन, सिक्योर सरकारी साइट हैक होने की बात को अफसरों ने गंभीरता से नहीं लिया, जबकि तत्काल एफआईआर दर्ज कराना चाहिए थी। ईओ धीरेन्द्र कुमार राय का कहना है कि पालिका का कोई आर्थिक नुकसान नहीं हुआ, इसलिए एफआईआर नहीं कराई गई। सरकारी साइट हैक होना स्वतः बड़ी आपराधिक वारदात हो जाती है, इस वारदात को इग्नोर नहीं किया जा सकता।
असलियत में पूरा प्रकरण ईओ धीरेन्द्र कुमार राय की स्क्रिप्ट पर फिल्माया गया है। एफआईआर हुई तो, ईओ धीरेन्द्र कुमार राय के साथ जेई मनोज सेंगर और लेखाधिकारी नफीस अहमद भी फंस सकते हैं। हालाँकि मनोज सेंगर और नफीस अहमद को व्यक्तिगत तौर पर कुछ भी पता नहीं था। सूत्रों का कहना है कि धीरेन्द्र कुमार राय ने ही पूरा खेल किया है, इसीलिए जिले भर में लोग यही सवाल करते नजर आ रहे हैं कि डीएम साहब एफआईआर दर्ज कराने का आदेश क्यों नहीं दे रहे?
अब बात साइट की करते हैं तो, उसका सबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों को यूजरनेम और पासवर्ड दिया गया है, साथ ही लॉग इन करते समय संबंधित के मोबाइल पर ओटीपी जाता है। ओटीपी के डाले बिना साइट को खोला नहीं जा सकता। स्पष्ट है कि साइट को लॉग इन कर टेंडर को डिलीट करने का कार्य धीरेन्द्र कुमार राय द्वारा ही किया गया है लेकिन, गंभीर प्रकरण होने के बावजूद अफसर भी एफआईआर नहीं करवा रहे हैं। अफसर भले ही कुछ न कर रहे हों पर, पूरा प्रकरण भाजपा के प्रांतीय उपाध्यक्ष व दर्जा राज्यमंत्री वीएल वर्मा और नगर विकास राज्यमंत्री महेश चंद्र गुप्ता के संज्ञान में भी पहुंच गया है। माना जा रहा है कि वीएल वर्मा और महेश चंद्र गुप्ता के निशाने से धीरेन्द्र कुमार राय बच नहीं पायेंगे।
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