बदायूं जिले में समाजवादी पार्टी के एमएलसी प्रत्याशी द्वारा नामांकन पत्र वापस लेने के मुद्दे पर पूर्व मंत्री आबिद रजा ने कहा कि एमएलसी के चुनाव में जिला बदायूं में नई सपा के चुनाव की जिम्मेदारी धर्मेंद्र यादव को दी गई थी। नई सपा चुनाव लड़ने से पहले ही भाजपा के आगे नतमस्तक हो गई, ऐसा बदायूं जिले के इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी सपा प्रत्याशी ने पर्चा वापस लिया है।
उन्होंने कहा कि हमने पहले ही बयान जारी कर के कहा था कि एमएलसी चुनाव में धर्मेंद्र यादव को किसी को बलि का बकरा न बनाकर स्वयं प्रत्याशी बनना चाहिए लेकिन, स्वयं को जिले का लीडर व विकास पुरुष बताने वाले धर्मेंद्र यादव ने शायद, चुनाव में हार के डर से या, अपने को सियासी कमजोर समझ कर स्वयं नामांकन नहीं कराया बल्कि, अपने विश्वास पात्र को जीत का झूठा आश्वासन देकर बलि का बकरा बनाया, आज वही विश्वास पात्र मोहरा हार के डर से धोखा देने को मजबूर हो गया। 2009 के बाद आज तक ब्लॉक प्रमुख, चेयरमैन और विधायक का टिकट देने के नाम पर नेताओं को बेवकूफ बनाने वाले, धोखा देने वाले धर्मेंद्र यादव को बेहतरीन राजनैतिक धोखा मिला है। छल करोगे, छल मिलेगा, आज नहीं तो कल मिलेगा।
उन्होंने कहा कि पूरे उत्तर प्रदेश में एमएलसी के चुनाव में धर्मेंद्र यादव ने अपने कमजोर नेतृत्व व बदायूं जिले में नई सपा को कमजोर होने का स्वर्णिम इतिहास लिख दिया है। दूसरी तरफ राजनैतिक गलियारों में यह भी चर्चा आम है कि नई सपा ने पर्चा वापसी में करोड़ों का बड़ा आर्थिक समझौता किया है। एक बार फिर धर्मेंद्र यादव ने एमएलसी के चुनाव में भाजपा को वॉक ओवर दे दिया। सपा के पर्चा वापसी की घटना से हाल के 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा को वोट देने वाली जनता खास तौर से मुसलमान समाज के लोग पछताबे के साथ बेहद अफसोस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र यादव 2019 का लोकसभा, 2022 का विधानसभा चुनाव और अब एमएलसी के चुनाव में भाजपा को हराने का माहौल बना कर भाजपा को ही वॉक ओवर दे देते हैं, अब उनकी यह चाल आम जनता की समझ में आ रही है, इसलिए अब बदायूं की जनता 2024 के लोकसभा चुनाव में धर्मेंद्र यादव को वोट नहीं देगी, धर्मेंद्र यादव अगर, बदायूं लोकसभा से चुनाव लड़ेंगे तो, उनका चुनाव हारना तय है।
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