बदायूं जिले में स्थानीय नगर निकाय के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने सर्व प्रथम प्रत्याशियों की घोषणा की थी, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने प्रत्याशियों की घोषणा की। समाजवादी पार्टी अपने प्रत्याशियों की घोषणा करने में देर कर देती, तो भाजपा, कांग्रेस और बसपा को चुनाव लड़ने लायक प्रत्याशी नहीं मिलते, यह खबर चौंकाने वाली जरुर है, पर है सौ प्रतिशत सच। सपा द्वारा रिजेक्ट किये गये लोगों को ही भाजपा, कांग्रेस और बसपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है।
जी हाँ, सर्व प्रथम बात नगर पालिका परिषद बिल्सी की करते हैं, यहाँ से तमाम लोगों के साथ विनय कुमार “”बिन्नी” और अनुज वार्ष्णेय ने समाजवादी पार्टी में टिकट के लिए आवेदन किया था। विनय कुमार ने समाजवादी पार्टी को दिए आवेदन पत्र में दावा किया है कि वे वर्ष- 1997 से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता हैं और पार्टी द्वारा आयोजित किये समस्त आंदोलनों में भाग लेते रहे हैं, इन पर समाजवादी पार्टी ने विश्वास नहीं जताया और आवेदन पत्र निरस्त कर दिया, तो विनय कुमार “बिन्नी” बहुजन समाज पार्टी की शरण में चले गये, जिससे यह सिद्ध भी हो गया कि सपा ने उनको टिकट न देकर सही किया। वर्ष- 1997 से जो व्यक्ति सपा में था, उसे बसपा ने तत्काल प्रत्याशी घोषित कर दिया।
इसी तरह अनुज वार्ष्णेय ने समाजवादी पार्टी में किये गये आवेदन पत्र में लिखा है कि वे वर्ष- 2007 से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता हैं, पर जाँच के दौरान समाजवादी पार्टी ने उनका भी आवेदन पत्र निरस्त कर दिया और उन्हें टिकट नहीं दिया, तो अनुज वार्ष्णेय भी तत्काल भाजपा की शरण में चले गये, भाजपा में आनन-फानन में उन्होंने टिकट के लिए आवेदन कर दिया। अनुज वार्ष्णेय के द्वारा किये गये दावे का मतलब है कि वे लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय नगर निकाय चुनाव समाजवादी पार्टी को लड़ाते रहे हैं, इसके बावजूद लंबे समय से मंथन कर रही भाजपा ने अनुज वार्ष्णेय को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया।
बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने बिल्सी नगर पालिका परिषद से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को टिकट दिया है, क्योंकि दोनों ने ही अभी तक समाजवादी पार्टी छोड़ने और भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेने की घोषणा नहीं की है, इसी तरह कांग्रेस भी पीछे नहीं है। अलापुर नगर पंचायत में अध्यक्ष पद के लिए हुमा बेगम ने समाजवादी पार्टी से टिकट माँगा था, उन्होंने आवेदन पत्र में दावा किया है कि वे 5 वर्षों से समाजवादी पार्टी की कार्यकर्ता हैं और समाजवादी पार्टी के समस्त कार्यक्रमों में भाग लेती रही हैं, उन पर समाजवादी पार्टी ने विश्वास नहीं जताया, तो वे तत्काल कांग्रेसी हो गईं और कांग्रेस ने भी उन्हें तत्काल टिकट दे दिया, इससे भी बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि यहाँ पहले कांग्रेस ने शाहजहाँ बेगम को टिकट दिया था।
सखानूं नगर पंचायत से शाहिद समी ने भी समाजवादी पार्टी से अध्यक्ष पद के लिए टिकट माँगा था, उन्होंने आवेदन पत्र में दावा किया है कि समाजवादी पार्टी के गठन के समय से वे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता हैं और जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के सपा के समस्त कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर भाग लेते रहे हैं, पर उनका भी सपा ने आवेदन निरस्त कर दिया, तो वे कांग्रेस का द्वार खटखटाने पहुंच गये और कांग्रेस ने उन्हें भी तत्काल अंदर लेकर टिकट थमा दिया।
पद लोलुपता के चलते राजनीति निम्न स्तर तक पहुंच गई है, इसी सोच ने लोकतंत्र का पतन कर दिया है, जिसका उदाहरण स्थानीय नगर निकाय चुनाव के दौरान बदायूं जिले में स्पष्ट देखा जा सकता है। जो भाजपा कर्मठ कार्यकर्ताओं को वरीयता देने का दावा कर रही थी, ईमानदारी और कर्तव्यपरायढ़ता को लेकर मंथन कर रही थी, उसके तमाम दावे स्वतः ही तार-तार हो गये हैं, इसी तरह बहुजन समाज पार्टी ने विधान सभा चुनाव में मिली भयानक हार से भी सबक नहीं लिया है, उसने भी अपने कर्मठ कार्यकर्ताओं को किनारे कर दिया है। कांग्रेस स्वयं को प्राचीन भारत की परंपरा का वाहक मानती है, लेकिन स्थानीय नगर निकाय चुनाव में घोषित किये गये चेहरों से स्पष्ट है कि वह भी गिरगिटों की फौज का ही हिस्सा है।
समाजवादी पार्टी पर अभी तक टिकट वितरण को लेकर एक भी आरोप नहीं लगा है, उस पर कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने का भी आरोप नहीं है, भ्रष्टाचार को लेकर कोई झूठा आरोप भी लगाने को तैयार नहीं है, जबकि ईमानदारी और संगठन को प्राथमिकता देने का दावा करने वालों के आम जनता के सामने कपड़े उतर चुके हैं। सपा के रिजेक्ट लोगों को प्रत्याशी बनाने से भाजपा, बसपा और कांग्रेस की जमकर फजीहत हो रही है, इस चुनाव में जीते कोई, पर हारेगी जनता, क्योंकि अधिकाँश दलों ने देश और समाज का भला करने वालों की जगह स्वार्थियों को प्रत्याशी बनाया है।
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