बदायूं के हालात लगातार भयावह होते जा रहे हैं। पुलिस-प्रशासन एक समान ही कार्य करते नजर आ रहे हैं। पीड़ितों की सुनने वाला कोई नजर तक नहीं आ रहा है। निजी और झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम जच्चा-बच्चा की जान से खेल रहे हैं पर, पुलिस-प्रशासन में बैठे पत्थर दिल अफसरों पर कोई अंतर नहीं पड़ता।
जी हाँ, आज फिर एक प्रसूता की जान चली है। सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में मंडी समिति के निकट लीलावती हॉस्पीटल मैटरनिटी सेंटर है, जिसमें कादरचौक क्षेत्र की एक प्रसूता को भर्ती कराया गया। उपचार के दौरान प्रसूता की जान चली गई, बच्चा उसी के पेट में दफन हो गया, इससे पहले अस्पताल के कर्मियों ने परिजनों से 31 हजार रूपये जमा करा लिए थे। प्रसूता की मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगा कर हंगामा शुरू कर दिया। सूचना पर तत्काल पुलिस पहुंच गई। पुलिस के पहुंचने पर एक दलाल ने पीड़ित और अस्पताल के मालिक के बीच फैसला करा दिया।
सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक अफसर निजी अस्पतालों की व्यवस्था क्यों नहीं देखते। निजी अस्पताल मानक के अनुरूप नहीं हैं तो, उन पर कार्रवाई क्यों नहीं करते। झोलाछाप डॉक्टर जिले भर में क्यों फल-फूल रहे हैं। किसी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हो जाता है तो, उसके विरुद्ध पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं करती। असलियत में आम जनता की भ्रष्टाचार के चलते खुलेआम भेंट ली जा रही है, इसीलिए हर किसी के आँख और कान बंद हैं।
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