बदायूं के लाबेला चौक पर भाजपा समर्थित व्यापारियों की दुकानें अतिक्रमण के बहाने ढहाने का मामला अभी तक शांत नहीं हो पा रहा है। लाबेला चौक की दुकानों पर कार्रवाई करने के प्रकरण में तमाम तरह की चर्चायें भी हो रही हैं लेकिन, भाजपा नेता और प्रशासनिक अफसर चर्चाओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिससे भाजपा नेताओं और अफसरों की छवि लगातार खराब हो रही है।
लाबेला चौक पर बनी दुकानों के नीचे नाला है, इसलिए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को कोई गलत नहीं कह रहा पर, जिस तरह से प्रशासन ने कार्रवाई की, उस पर सवाल लगातार उठाये जा रहे हैं। चर्चा है कि प्रशासनिक अफसरों ने एक बड़े व्यापारी को निजी लाभ पहुँचाने की नीयत से अतिक्रमण हटवाया है, इस व्यापारी के बड़े अफसरों से गहरे संबंध बताये जाते हैं तभी, भाजपा नेताओं की सिफारिश भी इसीलिए नहीं मानी गई।
अगर, अफसरों पर कोई दबाव नहीं होता तो, नाले की कलेक्ट्रेट तक और लोटनपुरा तक सफाई कराई जाती लेकिन, प्रशासन ने लाबेला चौक से एक इंच इधर-उधर भी कार्रवाई नहीं की, जिससे व्यापारियों में रोष व्याप्त है। लाबेला चौक के व्यापरियों की नाराजगी का कारण यह भी है कि उनकी बात भाजपा का समर्थित होने के बावजूद नहीं सुनी गई जबकि, समाजवादी पार्टी के समर्थक व्यापरियों की अवैध दुकानों की ओर अफसर देखते तक नहीं।
पुलिस लाइन चौराहे से संतोष सिंह चौराहे तक जाम की अवस्था रहती थी तो, सपा सरकार में धर्मेन्द्र यादव ने पल भर में ओबरब्रिज की संस्तुति करा दी थी एवं युद्ध स्तर पर निर्माण कार्य करा कर ओवरब्रिज बनवा भी दिया था। ओवरब्रिज बनने के बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई होना थी पर, धर्मेन्द्र यादव के दबाव में प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं की थी, जिससे कुछेक लोगों के हौसले और अधिक बुलंद हो गये। दबंग किस्म के व्यापारियों ने आधी सड़क कब्जा रखी है, जिससे पुल के नीचे से निकलते समय लोगों के सिर में दर्द हो जाता है।
शातिर किस्म के कुछेक व्यापारियों ने बीच सड़क पर धार्मिक स्थल भी बना रखे हैं, जिसके सहारे अवैध दुकानें सुरक्षित रहती हैं। भाजपा नेताओं और प्रशासनिक अफसरों को अपनी छवि में सुधार लाना है तो, ओवरब्रिज के नीचे भी अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करना होगी वरना, चुनाव के समय भाजपा को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
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