कुलदीप शर्मा
बदायूं का बेसिक शिक्षा विभाग लंबे समय से भ्रष्टाचार का अड्डा है। नौनिहालों के मिड-डे-मील में घपला हो या, फिर शिक्षक भर्ती में धांधली, यह सब यहां काफी समय से होता आ रहा है, अब आरक्षण घोटाला सामने आया है, ताकि अपने चहेतों को नौकरी दी जा सके। जब मामला उजागर हुआ तो, स्थानीय जिम्मेदार ने सीधे तौर पर राज्य परियोजना निदेशक विजय किरण आनंद को आरक्षण का जिम्मेदार ठहरा दिया, जो किसी के गले से नहीं उतर रहा है।
शासन के आदेश पर प्रदेश भर में की गई थी कार्रवाई
बीते वर्ष नवंबर में शासन के आदेश पर प्रदेश भर में संचालित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों की विषय विसंगति के आधार पर सेवा समाप्त कर दी गई थी। बदायूं में भी संविदा पर तैनात 27 शिक्षकों की विषय विसंगति होने के कारण सेवा समाप्त कर दी गई, इसके अलावा 6 ऐसे शिक्षक व अन्य कर्मचारी रहे, जिन्हें लगातार अनुपस्थित रहने के कारण बर्खास्त कर दिया गया। जिसके चलते जिले में संचालित सभी 18 बा स्कूलों में शिक्षकों के साथ अन्य कर्मचारियों की कमी हो गई, इस कमी को पूरा करने के लिए रिक्त पदों को भरा जाना है।
सवालों के घेरे में जारी हुआ विज्ञापन
जिले में विषयवार पूर्ण कालीन, अंशकालीन श्रेणी में शिक्षक और कर्मचारी रखे जाने हैं। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में रिक्त पदों को भरने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी विज्ञिप्त सवालों के घेरे में है। इस संबंध में कई आवेदकों द्वारा शिकायत भी दर्ज कराई गई है, वहीं मामला एडी बेसिक के संज्ञान में भी है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि बालिका शिक्षा जिला समन्वयक द्वारा रिक्त पदों को भरने के लिए जो आरक्षण लागू किया है, उसमें सभी वर्गों को नियमानुसार लाभ नहीं मिल पाएगा।
एडी तक पहुंचा मामला, नहीं हो रही सुनवाई
शिकायतकर्ता विमलेश कुमारी, विनोद कुमार का कहना है कि गणित विषय पढ़ाने के लिए 9 शिक्षक रखे जाने हैं, इसमें नियमानुसार 4 पद सामान्य, 3 ओबीसी और 2 एससी वर्ग को आरक्षित होने चाहिए थे, इसी तरह पूर्ण कालीन सामाजिक विषय में 11 पद रिक्त हैं, इसमें अनाक्षित 5 और ओबीसी व एससी वर्ग के 3-3 पद होने चाहिए थे, स्काउट शिक्षक पद को रिक्त 3 पदों पर सभी श्रेणी के आवेदकों को लाभ मिलना चाहिए था लेकिन, कर्मचारी द्वारा तीनों पद एससी वर्ग को आरक्षित कर दिए। ऐसा ही लेखाकर के पदों पर हुआ है। यह पद भी एससी वर्ग को आरक्षित हैं, इन सभी बिंदुओं को लेकर ऐडी बेसिक को शिकायत की गई है पर, अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
सामान्य वर्ग का 50 फीसदी है आरक्षण
पूर्व में हुई नियुक्तियों के आधार पर विभाग द्वारा पद भरे जा रहे हैं तब भी सभी श्रेणी के पद खाली होने चाहिए थे। यदि नए सिरे से पदों को भरा जा रहा है तब भी सभी वर्ग के आवेदकों को ध्यान में रखते हुए आरक्षण को लागू किया जाना था।
स्थानीय अधिकारियों ने नहीं दिया ध्यान
भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अनुमोदित समिति के अधिकारियों ने भी इस घपले पर ध्यान नहीं दिया। जिला समन्वयक द्वारा जो तथ्य उन्हें बताये गये उन्हीं को आधार मानकर फाइल को पास कर दिया गया।
पोल खुली तो महा शिक्षा निदेशक को बनाया मोहरा
जिला समन्वयक बालिका शिक्षा प्रशांत गंगवार द्वारा किए गए घोटाले की कलई खुली तो सीधे तौर पर राज्य परियोजना निदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद को जिम्मेदार ठहरा दिया। उनसे जब इस संबंध में सवाल किए गए तो, वह काफी असहज हो गये। उन्होंने कहा यदि कोई दिक्कत है तो, सीधे उन्हीं से वार्ता करें।
आठ माह पहले ही संभाला है पद
जिला समन्वयक बालिका शिक्षा प्रशांत गंगवार को बदायूं में पद संभाले अभी मात्र आठ माह ही हुए हैं। इसके बाद भी उनकी कार्यशैली पर कई बार सवाल उठ चुके हैं। इससे पहले वे बरेली (आंवला) क्षेत्र के कंत्री उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत थे। यह उनकी इस पद पर प्रतिनियुक्ति है। जिसका वह बालिकाओं की शिक्षा के लिए प्रयोग न कर अपने निजि स्वार्थों को सिद्ध करने के लिए प्रयोग कर रहे हैं।
जिला समन्वयक बालिका शिक्षा प्रशांत गंगवार ने कहा कि आवासीय विद्यालयों में जो पद भरे जाने हैं, उसके लिए जो आरक्षण लागू किया गया है, वह आरक्षण राज्य परियोजना निदेशक ने निर्धारित किया है। जो भी है, वही इसके लिए जिम्मेदार हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि आरक्षण को जिला स्तर पर लागू किया जाना चाहिए। यदि आरक्षण लागू करने में कोई लापरवाही हुई है तो, इसकी जानकारी करने के बाद कार्रवाई की जायेगी। फिलहाल मुझे जिले में पदभार ग्रहण किए तीन दिन ही हुए हैं।
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