बदायूं जिले में डग्गामार वाहन चालकों का मजबूत और बड़ा गैंग बन गया है। भ्रष्टाचार और राजनैतिक संरक्षण के चलते डग्गामारी ने उद्योग का ही रूप ले लिया है। लाखों रूपये प्रतिदिन का टर्न ओवर है। डग्गामार वाहनों से सरकार को लाखों रूपये प्रतिदिन का नुकसान है लेकिन, पुलिस-प्रशासन भ्रष्टाचार के चलते मौन है।
ताजा प्रकरण थाना जरीफनगर क्षेत्र का है। 9-10 जनवरी की रात में जतकी पुल से 20 मीटर आगे 25 फुट गहरी खाई में बस संख्या- यूपी 25 टी- 5786 जा गिरी थी। घटना के समय में बस में 80 यात्री थे, जिनमें 35 से ज्यादा यात्रियों को गहरी चोट आई थी। किसी तरह निकल कर यात्री निजी साधनों से इधर-उधर निकल गये थे और निजी अस्पतालों में उपचार करा कर गन्तव्य की ओर चले गये थे। घटना के दो घंटे बाद थाना पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी। पुलिस ने कागज और बस कब्जे में लिए थे। सुबह को बस खाई से निकलवा कर थाना परिसर में खड़ी करा दी गई थी लेकिन, अगले दिन छोड़ दी गई। प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
बताया जाता है कि डग्गामार माफिया का बहनोई एआरटीओ में है, जो बस पकड़े जाने पर, हादसा वगैरह होने पर कुछ ही मिनट में परमिट जारी कर के दे देता है। बताया जाता है कि बदायूं और सहसवान से दिल्ली के लिए डग्गामार बसें चलती हैं, जिनमें 75 से 90 तक यात्री भरे जाते हैं, साथ ही दिल्ली से इन बसों में टैक्स चोरी कर अवैध तरीके से कीमती सामान भी लाया जाता है। यात्रियों की आड़ में डग्गामार वाहन माफिया बड़ा अवैध धंधा कर रहे हैं, इन्हें पुलिस और प्रशासन का खुला संरक्षण प्राप्त है तभी, हादसा होने के बावजूद बस को यूं ही छोड़ दिया गया।
बताते हैं कि डग्गामार वाहन माफियाओं का स्टाफ आपराधिक प्रवृत्ति का है, जो शराब के नशे में धुत होने के बाद ही रात में बसें दौड़ाते हैं। शराब के नशे में धुत होने के कारण ही बस पलटी थी पर, पुलिस ने चालक-परिचालक को हिरासत में लेकर जाँच तक कराना उचित नहीं समझा। बताया जाता है कि पुलिस ने 2 लाख 50 हजार रूपये में पूरा प्रकरण ही दबा दिया। अब देखते हैं कि बड़े अफसर क्या कार्रवाई करते हैं?
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