बदायूं जिले में एक कथित पारिवारिक प्रकरण चर्चा का विषय बना हुआ है। राजनैतिक रूप से सशक्त होने के कारण परिवार को बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। एक ही प्रकरण में बार-बार कानूनी शिकंजा कस दिया जाता है। पुलिस घटना के पीछे का सच जान गई है, जिससे राजनैतिक शक्तियाँ कथित पीड़िता के माध्यम से बवाल करा रही हैं, जबकि पूरा परिवार दहशत के चलते जिले से ही पलायन कर गया है।
प्रकरण बिनावर थाना क्षेत्र के गाँव घटपुरी का है, यहाँ के निवासी सरवन कुमार सिंह और संदीप कुमार सिंह राजनैतिक रूप से क्षेत्र में प्रभावशाली हैं। बड़े भाई सरवन कुमार सिंह जिला पंचायत सदस्य और डीसीडीएफ के डायरेक्टर रहे हैं, इस समय छोटे भाई संदीप कुमार सिंह जिला पंचायत सदस्य हैं, दोनों भाईयों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ है, जमीन और कारोबार ठीक-ठाक है, जिसको लेकर कुछेक लोग ईर्ष्या ही नहीं बल्कि, रंजिश भी मानते हैं।
खैर, कहानी थोड़ी पुरानी है, जिसकी शुरुआत संभवतः वर्ष- 2016 में हुई थी, उस समय संदीप कुमार सिंह अविवाहित थे। संदीप बताते हैं कि शादी से संबंधित एक वेबसाइट के माध्यम से वे छत्तीसगढ़ की एक मीरा सिंह नाम की महिला के संपर्क में आये थे, दोनों के बीच बातें और मुलाकातें होने लगीं पर, शादी नहीं हो रही थी। उन्होंने बताया कि परिजनों ने उनका रिश्ता तय कर दिया तो, मीरा सिंह ने छत्तीसगढ़ में ही उनके विरुद्ध यौन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया।
संदीप ने बताया कि मुकदमा में फैसला हुआ और बरेली में आर्य समाज पद्धति से दोनों का विवाह हुआ, इससे पहले मीरा सिंह ने एक शपथ पत्र दिया कि संदीप और उनके परिवार ने किसी भी तरह के दहेज की मांग नहीं की है, दहेज रहित शादी हो रही है लेकिन, शादी के बाद भी दोनों साथ नहीं रहे। उन्होंने बताया कि शादी के बाद मीरा छत्तीसगढ़ चली गईं, वे वर्ष- 2017 में बमुश्किल 10 दिन साथ रहे हैं, दोनों के बीच वैवाहिक संबंध सामान्य तरीके से कभी नहीं रहा।
उन्होंने बताया कि वर्ष- 2018 में दोनों ने विधिवत अलग होने का निर्णय ले लिया और दोनों ने तलाक के लिए मुकदमा दायर कर दिया। उन्होंने बताया कि समझौते के दौरान उन्होंने धनराशि भी दी। मुकदमा में सुनवाई होने लगी, इस बीच गाँव के ही एक राजनैतिक रूप से शक्तिशाली व्यक्ति ने मीरा सिंह को बरगला दिया, जिसके बाद फिर आ गई और पेट्रोल पंप पर कब्जा करने का प्रयास करने लगी, जबकि पेट्रोल पंप भाभी रीमा सिंह का है, विरोध के बाद उनके और परिजनों के विरुद्ध 11 जून 2019 को जानलेवा हमला और दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया एवं घर में आकर रहने लगी, साथ ही हर दिन डराने-धमकाने लगी तो, दहशत के चलते पूरा परिवार घर छोड़ गया और बरेली में रहने लगा। अब घटपुरी स्थित घर मीरा सिंह के कब्जे में है।
विवेचना में परिजन निर्दोष पाए गये तो, मीरा सिंह ने पुलिस पर आरोप लगाने शुरू कर दिए, इसके बाद विवेचना क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई। क्राइम ब्रांच ने भी परिजनों को निर्दोष माना तो, मीरा सिंह ने शुक्रवार को एसएसपी और पुलिस लाइन थाने में हंगामा शुरू कर दिया, आत्म हत्या करने की धमकी देने लगी, जिसके बाद पुलिस ने मीरा सिंह को हिरासत में ले लिया और शांति भंग की आशंका के चलते चालान कर दिया लेकिन, जमानत कराने के बाद उसी दिन मीरा सिंह ने पुनः मंडलायुक्त और डीआईजी के सामने हंगामा करने का प्रयास किया पर, अफसरों ने यथो-चित कार्रवाई करने का आश्वासन देकर घर भेज दिया।
यह भी बता दें कि सहमति से दायर किये गये तलाक के मुकदमा में मीरा सिंह ने आपत्ति दर्ज करा दी, जिसके बाद संदीप सिंह ने पुनः तलाक का मुकदमा दायर कर दिया, जो विचारधीन है। सवाल यह उठता है कि जब सब कुछ न्यायालय को ही तय करना है तो, धैर्य पूर्वक न्यायालय में अपना पक्ष रखना चाहिए लेकिन, जंग सड़क पर हो रही है, जिस पर संदीप सिंह का कहना है कि उन्हें और परिवार को एक नेता बदनाम करने के लिए यह सब करा रहा है।
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