बदायूं में स्वास्थ्य विभाग के लुटेरों ने डॉक्टर की जान से ही समझौता कर लिया। आम जनता की आस्था और भावनाओं से खिलवाड़ करते हुए लुटेरों ने इतने घटिया किस्म की किट और मास्क खरीद लिए कि डॉक्टर ही संक्रमित हो सकते थे। मीडिया द्वारा खुलासा करने पर लुटेरे प्रकरण को दबाने में जुट गये हैं। न एफआईआर कराई जा रही है और न ही अभी तक लुटेरों को हटाया गया है, इस सबसे स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के साथ भाजपा की भी फजीहत हो रही है।
कोरोना वायरस जैसी माहमारी को लेकर हर कोई गंभीर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी और सरकार जैसे कह रही है, लोग वह सब मान रहे हैं। पीएम ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया, पीएम ने थाली बजाने का आह्वान किया, सीएम और पीएम ने लॉक डाउन की घोषणा की तो, आम जनता ने सब स्वीकार किया। दान देने का आह्वान किया तो, लोग बढ़-चढ़ कर दान भी देने लगे।
जिला स्तर पर रेड क्रास सोसाइटी के एकाउंट में भी लोग दान दे रहे हैं। अपने तमाम खर्चों में कटौती कर के लोग देश के साथ खड़े हो रहे हैं, ऐसे भावनात्मक वातावरण का भी लुटेरों पर कोई असर नहीं हो रहा है। मंदिर जैसी आस्था और श्रद्धा के साथ दान दिए गये धन से भी घोटाला किया जा रहा है। देश भर में उपचार करने वाले डॉक्टर संक्रमित हो रहे हैं, इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के लुटेरों द्वारा मिल कर एक कंपनी से घटिया किस्म के 20600 मास्क और 328 पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) खरीद लिए गये।
सब कुछ लुटेरों की योजना के अनुसार ही हो रहा था। घटिया किस्म के 12 हजार मास्क और 250 पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) गुरुवार को पहुंच गये, इनमें से उझानी सीएचसी और मेडिकल कॉलेज में सामग्री पहुंचा दी गई। जिला अस्पताल में डॉक्टर के सामने सामग्री पहुंची तो, उन्होंने घटिया सामग्री होने के कारण उपयोग करने से मना कर दिया। प्रकरण मीडिया के संज्ञान में आया तो, हड़कंप मच गया लेकिन, अफसर कार्रवाई करने की जगह प्रकरण को दबाने और एक-दूसरे को बचाने में जुट गये।
अब सनसनीखेज घोटाले का प्रकरण स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक अफसरों के संज्ञान में है, फिर भी अभी तक एफआईआर तक नहीं कराई गई है और न ही लुटेरे फार्मासिस्ट को पटल से हटाया गया है, जबकि संबंधित फार्मासिस्ट पर पहले से तमाम गंभीर आरोप हैं, इसके विरुद्ध पूर्व के घोटालों में भी कार्रवाई लंबित है, जिससे अफसरों के साथ भाजपा की भी जमकर फजीहत हो रही है। अफसर कह रहे हैं कि घटिया सामग्री वापस भेज दी गई है, जबकि पूरे प्रकरण से स्पष्ट है कि सब कुछ लूट के इरादे से ही किया गया है, क्योंकि संबंधित फर्म को एडवांस में धन तक दे दिया गया है।
अफसरों का हिस्सा तय होगा, इसलिए वे एक-दूसरे को बचायेंगे ही लेकिन, जिले में भाजपा के पांच विधायक हैं, इनमें एक राज्यमंत्री हैं। भाजपा के प्रांतीय उपाध्यक्ष हैं, जिनको राज्यमंत्री का दर्जा मिला हुआ है। जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। सांसद हैं, अन्य तमाम पदों पर भाजपा ही आसीन है, ऐसे में भाजपा की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह आगे आकर लुटेरों पर कड़ी कार्रवाई कराये वरना, आम जनता का दिल टूट जायेगा। कार्रवाई न करने वाले अफसर और भाजपा बताये कि आम जनता दान क्यों दे?
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