बदायूं जिले के स्वास्थ्य विभाग में महिलाओं की हालत बेहद दयनीय बताई जा रही है। कभी कोई महिला शोषण के विरुद्ध खड़ा होने का प्रयास करती है तो, अधिकारी शोषण करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करने की जगह पीड़िता के विरुद्ध ही कार्रवाई कर प्रकरण दबा देते हैं। अधिकाँश नर्स और सीएचओ बेहद परेशान बताई जा रही हैं लेकिन, लोक-लाज और उल्टा कार्रवाई होने के भय से मौन धारण किये हुए हैं।
महिलाओं को नौकरी करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग बेहद सुरक्षित माना जाता था लेकिन, अब ऐसा नहीं है। अब महिलाओं का सर्वाधिक शोषण स्वास्थ्य विभाग में ही होता नजर आ रहा है। अधिकांश नर्स और सीएचओ माफियागीरी से तंग हैं, उनका जमकर शोषण किया जा रहा है। अंदर के हालात बेहद भयावह नजर आ रहे हैं। नर्स और सीएचओ से बात करो तो, कुछ भी कहने से पहले उनकी आँखों में आंसू भर जाते हैं।
जिला मुख्यालय के हालात फिर भी सही हैं लेकिन, सीएचसी और पीएचसी पर महिला कर्मियों की जिंदगी नरकीय होती जा रही है। पुरुष सह-कर्मी 24 घंटे द्विर्थी भाषा का प्रयोग करते हैं, उन्हें तमाम तरीकों से लुभाने का प्रयास करते हैं और अगर, महिला झांसे में न आये तो, उनका खुला शोषण होने लगता है। देर-सवेर ड्यूटी लगाना, गांवों में भेज देना वगैरह-वगैरह षड्यंत्रों के द्वारा उनका तब तक उत्पीड़न किया जाता है जब तक वे टूट नहीं जाती।
कुछेक नर्स और सीएचओ शोषण के विरुद्ध खड़ी हो जाती हैं तो, उल्टा उनके विरुद्ध ही कार्रवाई की जाती है। ऐसी ही पीड़ित एक नर्स सीएचसी- बिल्सी पर तैनात थी, उसने सीएमओ से कई बार शिकायत की पर, उसकी शिकायत पर सीएमओ ने ध्यान नहीं दिया तो, पीड़ित नर्स ने सुसाइड नोट लिख कर विषाक्त पदार्थ खा लिया था। हालाँकि वह बच गई पर, उस समय के डीएम दिनेश कुमार सिंह आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाये, वहां से नर्स को हटा दिया गया पर, आरोपी आज तक तैनात हैं, जिनकी सत्ता हर महिला ने स्वीकार कर ली है, क्योंकि जब आत्म हत्या का प्रयास होने के बावजूद कुछ नहीं हुआ तो, सीधी सी बात है कि साधारण शिकायत पर उनकी कौन सुनेगा।
इसी तरह पिछले दिनों कादरचौक सीएचसी पर तैनात सीएचओ से रिश्वत की मांग की जा रही थी। सीएचओ ने रिश्वत देने का वादा किया था पर, एमओआईसी नहीं माना, उसे तत्काल रूपये चाहिए थे तो, उसने एकाउंट में रिश्वत डलवा दी, इस बात का खुलासा होने के बाद भ्रष्ट एमओआईसी पर कार्रवाई होना चाहिए थी पर, एक बार फिर सीएचओ का दातागंज क्षेत्र में तबादला कर दिया गया है, इससे स्पष्ट है कि अफसर भी महिलाओं का उत्पीड़न होने को बुरा नहीं मानते या, उन्हें लगता है कि यह सब साधारण बातें हैं। ताजा प्रकरण सहसवान में स्थित सीएचसी का है, यहाँ तैनात अर्श काउंसलर ने एमओआईसी पर गंभीर आरोप लगाये हैं, पुलिस को तहरीर दे दी है पर, पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया है।
असलियत में एमओआईसी, डॉक्टर और फार्मासिस्ट की तैनाती में राजनैतिक हस्तक्षेप रहता है, उन्हें भली-भांति पता है कि अफसर उन्हें चाह कर भी नहीं हटा सकते, सो वे न शासनादेशों का पालन करते हैं और न ही अफसरों के निर्देश मानते हैं, साथ ही जमकर मनमानी करते हैं, इस माफियाराज को तभी खत्म किया जा सकता है जब जिले भर के एमओआईसी, डॉक्टर और फार्मासिस्ट इधर-उधर किये जायें, कुछेक स्थानों पर तो राजनैतिक संरक्षण के चलते संविदा कर्मी ही तानाशाह बने हुए हैं, ऐसे लोगों को चिन्हित करा कर तत्काल हटाया जाये लेकिन, यह सब डीएम कुमार प्रशांत के हस्तक्षेप के बिना संभव नहीं है। अगर, डीएम कुमार प्रशांत ने रूचि ले ली तो, निश्चित ही यह एक बड़ा पुण्य कर्म कहा जायेगा और उन्हें प्रत्येक महिला कर्मी बहुत दुआयें देगी।
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