बदायूं जिले के एक मात्र राजकीय मेडिकल कॉलेज में चिकित्सीय सुविधाओं, रोगियों के उपचार और शिक्षा की व्यवस्था को लेकर गौतम संदेश के रिपोर्टर कुलदीप शर्मा ने प्राचार्य प्रोफेसर धर्मेंद्र कुमार से विस्तार से बात की।
सवाल- आपको बदायूं मेडिकल कॉलेज में प्राचार्य पद पर कार्य करते कितना समय हो गया है?
प्राचार्य- जी, मुझे यहां पर साढ़े चार माह पूरे हो चुके हैं।
सवाल- आपके आने से पूर्व मेडिकल कॉलेज में क्या-क्या सुविधायें मिल रही थीं, अब आपके आने के बाद कॉलेज में मिल रही सुविधाओं में क्या बदलाव आया है?
प्राचार्य- सुविधायें तो पहले भी थीं लेकिन, कोरोना महामारी के चलते सारा सिस्टम खराब हो चुका था। ओपीडी भी बंद हो गई थी, क्योंकि सरकार द्वारा कॉलेज को एल- 2 श्रेणी का हॉस्पिटल घोषित कर दिया गया था। ऐसे में सामान्य मरीज नहीं आ पा रहे थे, हालांकि इमरजेंसी में मरीजों का इलाज किया जा रहा था। कॉलेज में ब्लड बैंक बना हुआ था पर, संचालित नहीं हो पा रहा था। बीते 15 अगस्त को राज्यमंत्री महेश चंद्र गुप्ता द्वारा इसका लोकापर्ण कर दिया गया है। इसी के साथ ही सर्जन, नेत्र रोग विभाग, ईएनटी विभाग में सर्जरी चल रही है। कैंसर की जांच भी जल्द ही कॉलेज में शुरू होने जा रही है।
सवाल- मौजूदा समय में कॉलेज में कितनी सीट्स हैं?
प्राचार्य- कॉलेज में अभी सिर्फ 100 सीट्स एमबीबीएस की हैं, जिसमें 85 सीट्स स्टेट और 15 सीट्स सेंटर गर्वमेंट की ओर से नीट परीक्षा के द्वारा भरी जाती हैं।
सवाल- मौजूदा समय में कॉलेज में कौन-कौन से कोर्स संचालित हो रहे हैं?
प्राचार्य- अभी सिर्फ एमबीबीएस की ही पढ़ाई हो रही है, इसके अलावा अभी कोई भी कोर्स संचालित नहीं हो रहा है। एक बार जब एमबीबीएस का बैच पास आउट हो जाएगा, उसके बाद अन्य कोर्स का संचालन भी शुरू होगा। अभी 15 दिन पहले ही नेशनल बोर्ड द्वारा डिप्लोमा कोर्स को संचालित करने की अनुमति मिल गई है और आगामी सत्र में चार सीट कॉलेज में डिप्लोमा चाइल्ड हेल्थ की शुरू होंगी।
सवाल- मौजूदा समय में कॉलेज में किस तरह की मशीने हैं, क्या भविष्य में अन्य कोई और मशीनें आने की उम्मीद है, जिनसे मरीजों को और अधिक लाभ मिलेगा?
प्राचार्य- मरीजों की जांच के लिए हमारे यहां दो विभाग हैं। यहां पर खून, पेशाब और संक्रमण की जांच भी की जा रही है। सीटी स्कैन मशीन जल्द ही शुरू हो जायेगी।
सवाल- बीते समय में जब कोरोना की लहर थी तब, कॉलेज में ऑक्सीजन प्लांट नहीं था। अब जब प्लांट लग गया है तो, रोजाना कितनी ऑक्सीजन बन रही है?
प्राचार्य- प्रदेश के उन चुनिंदा जिलों में एक है, जहां पर सबसे पहले ऑक्सीजन प्लांट लगे हैं। यहां पर दो प्लांट लगे हैं, जिनकी प्रति मिनट एक हजार लीटर ऑक्सीजन बना रहे हैं। जिससे 100 बेड को आराम से ऑक्सीजन दे सकते हैं। सरकार द्वारा आगामी दिनों में जल्द ही तरल ऑक्सीजन का प्लांट भी लगाने की बात चल रही है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में जल्द ही प्लांट लग जाएगा।
सवाल- कॉलेज में शैक्षिक कार्य कराने के लिए प्रोफेसर्स की कमी है या नहीं। अगर, हां तो क्या सरकार से इसकी मांग की गई है?
प्राचार्य- एनएमसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार कुछ पदों पर चिकित्सा शिक्षक नहीं मिल पाए हैं। जिसको लेकर कोशिश की जा रही है। उन सभी पदों पर चिकित्सा शिक्षकों की भर्ती की जाए। दो तरह से भर्ती होती है। पहला सरकार द्वारा परीक्षा आयोजित की जाती है। दूसरा संविदा पर शिक्षकों को नियुक्त किया जाता है।
सवाल- जब मेडिकल संचालित है तो, गंभीर मरीजों को अन्य जिलों के लिए रेफर क्यों किया जा रहा है?
प्राचार्य- मौजूदा समय में मेडिकल कॉलेज में सभी हाईटेक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, वहीं चिकित्सा शिक्षक भी कम हैं। ऐसे में मरीजों की स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए उन्हें रेफर कर देते हैं।
सवाल- अभी कॉलेज में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, वे छात्र स्थानीय हैं या, अन्य जिलों से भी आए हैं?
प्राचार्य- नीट परीक्षा के माध्यम से ही स्टूडेंट्स को प्रवेश मिलता है। जैसा की मैंने पहले ही बताया कि राज्य सरकार द्वारा 85 सीट और केंद्र सरकार द्वारा 15 सीट पर प्रवेश दिया जाता है, इसी के आधार पर प्रवेश मिलता है।
सवाल- यहाँ मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य होते लंबा समय हो गया है। आखिर, कब तक मेडिकल कॉलेज अपने पूर्ण स्वरूप में आ पाएगा?
प्राचार्य- वर्ष- 2015 से मेडिकल कॉलेज का निर्माण शुरू हुआ था। जब मैं आया था तब, कोरोना के चलते मजदूर नहीं मिल रहे थे। अब जब माहौल ठीक है तो, कार्यदायी संस्था से वार्ता कर कार्य में तेजी लाई गई है। कॉलेज अपने समय पर तो नहीं पर, जल्द ही पूर्ण हो जायेगा।
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