बदायूं में शासकीय अधिवक्ता फौजदारी के चयन को लेकर शासन-प्रशासन फंस गया है। उच्च न्यायालय ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए पचास हजार रूपये का दंड लगाया है, साथ ही एक माह के अंदर विधि पूर्वक चयन करने का आदेश दिया है। प्रकरण चर्चा का विषय बना हुआ है।
बताते हैं कि जिला जज और जिला मजिस्ट्रेट ने शासकीय अधिवक्ता फौजदारी के चयन के लिए पूर्व में अधिवक्ताओं का पैनल भेजा था, जिसमें अनिल कुमार सिंह राठोर का नाम नंबर- वन पर था पर, उनकी जगह किसी और का चयन किया गया, जिसके विरुद्ध वे उच्च न्यायालय की शरण में चले गये। पुनः पैनल भेजा गया, जिसमें छः अधिवक्ताओं के नाम प्रस्तावित किये गये, इस पैनल में भी अनिल कुमार सिंह राठोर का नाम नंबर- वन पर था पर, बताया जाता है कि कानून मंत्री के कहने पर जिला मजिस्ट्रेट ने प्रेमवती मौर्य का नाम अलग से जोड़ दिया।
प्रेमवती मौर्य का शासकीय अधिवक्ता फौजदारी के रूप में चयन हो गया, इस आदेश के विरुद्ध अनिल कुमार सिंह राठोर पुनः उच्च न्यायालय की शरण में चले गये, जिसे गंभीरता से लेते हुए उच्च न्यायालय ने शासन-प्रशासन के विरुद्ध आदेश पारित किया है। पचास हजार रूपये का दंड निर्धारित करते हुए एक माह के अंदर विधि पूर्वक चयन करने का आदेश दिया।
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