बदायूं के जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की लापरवाही न्यायालय के सामने उजागर हो गई है। प्रकरण गुंडा एक्ट के दुरपयोग करने का है, जिसे न्यायालय ने गंभीरता से लिया है। तेजतर्रार न्यायाधीश डीआरपी सिंह ने प्रमुख सचिव (गृह) को जाँच और कार्रवाई कराने को पत्र लिखा है।
उल्लेखनीय है कि दातागंज कोतवाली क्षेत्र के गाँव धीमरपुरा निवासी नन्हें पुत्र प्यारे ने न्यायालय में गैंग्स्टर एक्ट आदि के संबंध में जमानत प्रार्थना पत्र दिया था, जिस पर सुनवाई के दौरान न्यायालय के संज्ञान में लाया गया कि नन्हें पर गैंगचार्ट में दर्शाया गया मुकदमा दर्ज ही नहीं है, इस प्रकरण में अपर पुलिस अधीक्षक (नगर) जितेन्द्र श्रीवास्तव द्वारा जाँच की गई, जिसमें नन्हें पर गैंग्स्टर एक्ट के अंतर्गत की गई कार्रवाई को भूल बताया गया।
इससे पहले कोतवाली सहसवान क्षेत्र के राज्य बनाम तारिक और राज्य बनाम नईम के प्रकरण में भी गैंग्स्टर एक्ट का दुरूपयोग सामने आया था। न्यायालय के पूर्व पीठासीन अधिकारी ने जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र भेज कर एक्ट का दुरूपयोग रोकने को कहा था, साथ ही अमरनाथ दुबे बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य के प्रकरण में उच्च न्यायालय ने अप्रसन्नता व्यक्त की थी, जिस पर पुलिस महानिदेशक और प्रमुख सचिव (गृह) ने जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया था कि एक मुकदमा पर गैंग्स्टर एक्ट न लगाया जाये, साथ ही पूर्व के मुकदमों को पुनः शामिल न किया जाये।
न्यायालय और शासन के स्पष्ट निर्देश हैं, साथ ही पूर्व में लिखे गये पीठासीन के पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। नन्हें के प्रकरण में भी भूल स्वीकार की गई पर, किसी को न दोषी ठहराया गया और न ही किसी के विरुद्ध कोई कार्रवाई की गई, इसे तेजतर्रार न्यायाधीश देवराज प्रसाद सिंह (पंचम अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रिया-कलाप) ने बेहद गंभीर मानते हुए प्रमुख सचिव (गृह) को पत्र लिखा है।
तेजतर्रार न्यायाधीश देवराज प्रसाद सिंह ने पत्र में लिखा है कि गैंग्स्टर एक्ट का दुरूपयोग रोका जाना आवश्यक है। एक्ट का दुरूपयोग होने से समाज में न्याय प्रशासन और राज्य प्रशासन की छवि धूमिल होती है और उक्त अधिकारियों के कृत्य से छवि खराब हो रही है, इसलिए जाँच करा कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाये।
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