बदायूं के जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह के बारे में कहा जाता है कि वे रिश्वत के धन को गाय के मांस की तरह समझते हैं, सो किसी भी तरह का अवैध धन न लेते हैं और न ही लेने देते हैं। राशन वितरण प्रणाली सुधारने और कछला स्थिति गंगा तट पर आरती शुरू कराने को लेकर वे छा गये हैं, उनकी लखनऊ तक प्रशंसा की जा रही है।
शनिवार को गंगा आरती में 12 हजार रूपये देकर वे स्वयं पत्नी विजया सिंह के साथ यजमान बने। विजया सिंह को गंगा आरती के फोटो को लेकर लखनऊ स्थित प्रदर्शनी में 21000 का पुरस्कार मिला था, उन्होंने वह धनराशि गंगा आरती में भेंट कर दी, इस दौरान सीडीओ आईएएस निशा अनंत भी मौजूद रहीं, उन्होंने भी पुण्य लाभ अर्जित किया।
जिलाधिकारी की कार्य प्रणाली एक दम पारदर्शी है लेकिन, दलाल और भ्रष्टाचारी अपनी आमदनी का रास्ता खोज ही लेते हैं। बताया जा रहा है कि शस्त्र लाइसेंस बनवाने में कई दलाल सक्रिय हैं, जो गंगा आरती के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं। शस्त्र कार्यालय के एक बाबू की संलिप्ता से दलालों को यह पता चल जाता है कि जिलाधिकारी ने किस व्यक्ति के लाइसेंस की संस्तुति कर दी है, उस व्यक्ति से दलाल तत्काल संपर्क करता है और 51 हजार रुपया गंगा आरती में देने और 50 हजार स्वयं के लिए मांगता है। आचार संहिता लगने की दहशत में कई लोग मोटी रकम दे चुके हैं।
चूंकि जिलाधिकारी के बारे में जिले भर के लोगों को पता है कि वे रिश्वत नहीं लेते, इसलिए दलाल जिलाधिकारी के नाम पर वसूली नहीं करता, इसीलिए दलाल गंगा आरती के लिए रूपये मांगता है। बताते हैं कि शस्त्र कार्यालय का बाबू और दलाल आधी-आधी रकम बाँट लेते हैं, इस गोरखधंधे की जानकारी जिलाधिकारी को नहीं है वरना, वे शस्त्र कार्यालय के बाबू के विरुद्ध कार्रवाई कर चुके होते।
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