बदायूं जिले में भारतीय जनता पार्टी वर्तमान में बेहद शक्तिशाली स्थिति में है। विधान सभा चुनाव के बाद से हर युद्ध बड़ी ही आसानी से जीतती जा रही है। नगर निकायों में बाजी मार गई, वहीं सहकारिता के चुनाव में भी विपक्ष को साफ करते हुए निरंतर आगे बढ़ रही है लेकिन, गुटबंदी के चलते भाजपा जानबूझ कर जिला पंचायत समाजवादी पार्टी को छोड़े हुए है।
जिला पंचायत में अध्यक्ष पद के लिए भाजपा की ओर से सशक्त दावेदार प्रीति सागर ही हैं, उनकी पूरी तैयारी है लेकिन, भाजपा में गुटबंदी के चलते वे कुछ नहीं कर पा रही हैं। प्रीति सागर के पति पूर्व विधायक योगेन्द्र सागर चतुर रणनीतिकार हैं लेकिन, उनकी रणनीति भी भाजपा की गुटबंदी के कारण कुछ नहीं कर पा रही है। सामने आकर कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है पर, पीठ पीछे कोई नहीं चाहता कि जिला पंचायत में अविश्वास प्रस्ताव आये।
जिला पंचायत में अविश्वास प्रस्ताव न आने के पीछे एक बड़ा कारण जाति भी है। जिला पंचायत का अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग, अथवा सामान्य वर्ग में होता तो, पहले झटके में ही अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया होता। चूँकि अध्यक्ष पद दलित वर्ग के लिए आरक्षित है, इसलिए पिछड़े वर्ग के नेताओं के साथ सवर्ण नेता भी रूचि नहीं ले रहे हैं। हाल-फिलहाल भाजपा में पिछड़ा वर्ग हावी है। सभी नेता एकजुटता से पहल कर दें तो, पल भर में जिला पंचायत पर भाजपा का कब्जा होगा लेकिन, गुटबंदी के चलते सपा के मलाई खाने से भाजपाई खुश दिख रहे हैं।
यह भी बता दें कि प्रीती सागर शुरुआत में ही अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास कर चुकी हैं लेकिन, गुटबंदी के चलते सफलता नहीं मिली, उस दौरान जिलाधिकारी की भूमिका भी नकारात्मक थी, जिससे प्रीती सागर का साहस टूट गया। सूत्रों का कहना है कि योगेन्द्र सागर ने पूरी तैयारी कर रखी है लेकिन, स्थानीय गुटबंदी के चलते हाईकमान भी हरी झंडी नहीं दे रहा है।
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