बदायूं जिले में भी तबलीगी जमात से जुड़े लोग रुके हुए थे और मस्जिदों में छुपे हुए थे। पुलिस-प्रशासन बे-खबर था। गौतम संदेश के खुलासे के बाद पुलिस-प्रशासन सक्रिय हुआ, जिसके बाद मस्जिदों से 22 लोग चिन्हित कर लिए गये हैं। सभी को एकांत में रहने के निर्देश दे दिए गये हैं।
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दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित किये गये तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होकर लौटे तमाम लोग इधर-उधर छिपे हुए हैं। प्रदेश के बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, गाजियाबाद, प्रयागराज, भदोही, लखनऊ, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बाराबंकी, मेरठ, बिजनौर, आगरा, वाराणसी, हापुड़, मथुरा, शामली और सीतापुर सहित 19 जिलों के 157 लोग तबलीगी जमात के निजामुद्दीन स्थित मरकज में शामिल होकर लौटे हैं, इस सूची में बदायूं जिले का नाम नहीं था और न ही पुलिस-प्रशासन को भनक थी।
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गौतम संदेश ने खुलासा किया कि तबलीगी जमात में शामिल होकर सहसवान के लोग भी लौटे हैं, इसके बाद पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया। सहसवान में एसडीएम लाल बहादुर, सीओ रामकरन के साथ कोतवाल हरेन्द्र सिंह ने छापा मारा तो, तहसील कार्यालय के निकट मस्जिद से 6 और मोहल्ला नसरुल्लागंज की मस्जिद से 16 लोग निकले हैं, इनमें 6 वडाला (महाराष्ट्र) के, 12 बुलंदशहर जिले के और 4 तेलंगाना के बताये जा रहे हैं। पुलिस ने सभी को एकांत में रहने के कड़े निर्देश दिए हैं।
तबलीगी जमात के लोगों को गाँव परमू का ड्राईवर लेकर आया था, उसने कार भी घर में छुपा रखी है। तमाम निर्देशों के बावजूद तबलीगी जमात के लोग और ड्राईवर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम के सामने नहीं आ रहे थे। पुलिस भी सख्ती नहीं बरत रही थी। हालाँकि गौतम संदेश की खबर के बाद पुलिस ने गाँव जाकर ड्राईवर को भी घर से बाहर न निकलने के निर्देश दे दिए हैं। यह भी बता दें कि सहसवान का एक बदनाम नेता इन लोगों की मदद कर रहा था और खाने-पीने की व्यवस्था कर रहा था, जिसकी पुलिस मित्र है, इसलिए पुलिस उस पर कभी कार्रवाई नहीं करती।
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