बदायूं की स्वयं-भू महारानी को कार्यकर्ताओं ने आइना दिखा दिया। आक्रोशित कार्यकर्ता पारिवारिक लुटेरे गैंग को पीटने का मन बनाये बैठे थे लेकिन, कार्यकर्ताओं की मानसिकता भांप चुकी महारानी पारिवारिक गैंग को साथ नहीं लाई लेकिन, कार्यकर्ताओं ने महारानी की फजीहत करने में कोई कमी नहीं छोड़ी, जिसकी जमकर चर्चा की जा रही है।
स्वयं-भू महारानी और उसके पारिवारिक गैंग से पूरी पार्टी त्रस्त है। कार्यकर्ताओं ने चुनाव जिताने में जान तक दांव पर लगा दी थी लेकिन, अब कार्यकर्ता उसके कथित रनिवास में घुस तक नहीं सकते। महारानी और उसका पारिवारिक गैंग दोनों हाथों से जमकर लूट रहा है। ठेके खुलेआम बेचे जा रहे हैं। कार्यकर्ता इस बात पर भी राजी हैं कि जिस प्रकार विरोधियों को ठेके बेचे जा रहे हैं, वैसे ही उन्हें बेच दिए जायें पर, अहंकार में चूर महारानी कार्यकर्ताओं की बात तक सुनने को तैयार नहीं है।
व्यथित कार्यकर्ताओं ने शीर्ष नेतृत्व को बताया तो, महारानी को गेस्ट हाउस में तलब किया गया। कार्यकर्ता पारिवारिक गैंग को पीटने का मन बनाये बैठे थे पर, महारानी अकेली पहुंची तो, आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने महारानी को ही घेर लिया। एक कार्यकर्ता ने कहा कि उससे पानी तक के रूपये वसूले गये हैं, जबकि विपक्ष की सरकार में उनके फोन पर यूं ही हजारों लीटर पानी का छिड़काव कर दिया जाता था, जबकि दिन भर सरकारी ट्रैक्टर-ट्रॉली अवैध खनन का कार्य करते हैं।
महारानी को कार्यकर्ताओं ने जमकर अपमानित किया, कई बार तीखी नोंक-झोंक भी हुई। अंत में कार्यकर्ताओं ने कह दिया कि लोकसभा चुनाव में महारानी ने शहर में वोट मांगने लायक नहीं छोड़ा है, इसलिए वह कुछ नहीं कर पायेंगे। अब देखते हैं कि शीर्ष नेतृत्व क्या निर्णय लेता है।
यह भी बता दें कि सिंहासन पर बैठने से पहले महारानी के युवराज ने लॉन पर कार ली थी, जिसकी किश्त जमा न होने पर बैंक के बाउंसर के डर से कार छुपा दी गई थी, उससे पहले महारानी स्वयं घर-घर जाकर दो सौ रूपये में साड़ी सेल करती थी। एक व्यक्ति ने मदद करने को सहानुभूति में दुकान दे दी पर, उसकी दुकान पर ही कब्जा कर लिया।
एक-एक रूपये को तरसने वाली महारानी के दिन बदले तो, शपथ ग्रहण करने 12 लाख की गाड़ी में बैठ कर गई। एक करोड़ से ज्यादा रुपया रनिवास में लग चुका है। लग रहा है, जैसे पूरे खानदान को पारस पत्थर मिल गया है, सो सब मिल कर दोनों हाथों से न सिर्फ लुटा रहे हैं बल्कि, यह भी कह रहे हैं कि वे तो थे पैदाइशी महाराजा फैमिली से हैं, यह कहते हुए शर्म नहीं आती और यह भी ध्यान नहीं आता कि डेढ़ साल पहले क्या हालात थे।
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