बदायूं जिले के उझानी में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात एमओआईसी डॉ. महेश प्रताप सिंह उल्टी हरकतों के कारण अब तक बदतमीज माना जा रहा था लेकिन, अब सिद्ध हो गया है कि वह तानाशाह भी है। नियम-कानून को नहीं मानता, जो मन में आता है, वही कर देता है पर, विभागीय और प्रशासनिक अफसर मूक दर्शक बने हुए हैं।
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जी हाँ, डॉ. महेश ने आज ऐसा कुछ कर दिया, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। बताते हैं कि पीएचसी कैंपस में बने एक कमरे में एंबुलेंस के कर्मचारी रहते हैं, उनका जरूरी सामान और रिकॉर्ड भी कमरे में रहता है लेकिन, कर्मचारियों को बताये बिना ही डॉ. महेश ने निजी स्तर से जेसीबी मंगवा कर कमरा ध्वस्त करा दिया, जिससे कर्मचारियों का समस्त सामान भी मलबे में दब गया।
उक्त घटना के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. यशपाल सिंह को जानकारी हुई तो, वह स्तब्ध रह गये। उनका कहना है कि कमरा गिराने के संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और न ही अनुमति ली गई है। उनका यह भी कहना है कि उन्हें भी एक ईंट इधर से उधर करने का अधिकार नहीं हैं, कमरा गिराना तो बहुत बड़ी घटना है। सवाल यह है कि डॉ. महेश की नियम-कानून के विरुद्ध की जा रही हरकतों से असंतुष्ट होने के बावजूद सीएमओ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं?
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यह भी बता दें कि डॉ. महेश की बदतमीजी से तंग आकर आशा वर्कर आंदोलन कर रही हैं और लंबे समय से आशा वर्कर डॉ. महेश को हटाने की मांग कर रही हैं। विभिन्न स्तरों पर जाँच हो रही है लेकिन, जाँच से आगे की कार्रवाई नहीं की जा रही है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि आशा वर्कर के आंदोलन की खबरें प्रकाशित करने पर डॉ. महेश चार पत्रकारों के विरुद्ध फर्जी आरोप लगाते हुए कोतवाली में तहरीरें भी दे चुका है, इस सबके बावजूद विभागीय व प्रशासनिक अफसर मूक दर्शक बने हुए हैं।
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