बदायूं जिले में शासनादेश का सबसे पहला शिकार भाजपा नेता ही होते दिखाई दे रहे हैं। बैनर-होर्डिंग हटाने के अभियान में कर्मचारियों ने पहले दिन भाजपा नेताओं के बैनर-होर्डिंग ही उतारे, जबकि उनके ही आस-पास अन्य दलों के नेताओं के भी बैनर-होर्डिंग दिखाई दे रहे थे, जिन्हें कर्मचारियों ने अनदेखा कर दिया।
स्थानीय निकाय के निदेशक अखिलेश सिंह ने नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों के अधिशासी अधिकारियों को आदेश दिया है कि अवैध तरीके से लगे बैनर-होर्डिंग हटवायें और रिपोर्ट शासन को भेजें, इस आदेश के क्रम में गुरूवार को बैनर-होर्डिंग हटाए गये। शहर भर में तमाम राजनैतिक दलों के नेताओं के साथ तमाम सामाजिक संगठनों और कंपनियों के बैनर-होर्डिंग लटकते दिखाई दे रहे हैं लेकिन, कर्मचारियों ने सर्व प्रथम लालपुल से आगे लगे भाजपा नेता और पूर्व एमएलसी जितेन्द्र यादव के बैनर पर धावा बोला। जेसीबी से बैनर को उतार कर ट्रैक्टर-ट्रॉली में डाल दिया गया, इसी बैनर के आस-पास अन्य दलों के नेताओं के भी बैनर-होडिंग लगे थे, जिन्हें अभी तक नहीं उतारा गया है।
भाजपा नेताओं के बैनर-होर्डिंग उतरते देख लोग तो यहाँ तक कहते सुनाई दिए कि प्रशासन भाजपा नेताओं के विरुद्ध है, इसीलिए शासनादेश के अंतर्गत पहली कार्रवाई भाजपा नेताओं के विरुद्ध ही की जा रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि भाजपा सरकार ने पुलिस-प्रशासन को स्वतंत्र कर रखा है, इसके बावजूद पुलिस-प्रशासन के निशाने पर भाजपाई ही सर्वाधिक रहते हैं, जो स्तब्ध करने वाली बात है।
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