ब्रजपाल शाक्य प्रकरण में अफसरों के विरुद्ध एफआईआर का आदेश पारित

ब्रजपाल शाक्य प्रकरण में अफसरों के विरुद्ध एफआईआर का आदेश पारित

बदायूं जिले के चर्चित ब्रजपाल शाक्य कांड में न्यायालय ने ऐतिहासिक आदेश पारित किया है। न्यायालय ने अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। भाजपा नेताओं के आश्वासन के बावजूद पीड़ित परिवार को राहत नहीं मिली थी। प्रकरण को धर्मेन्द्र यादव और प्रियंका गांधी ने राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया था, इसके बावजूद उच्च स्तरीय जाँच तक नहीं कराई गई थी।

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उल्लेखनीय है कि गाँव जरीफनगर निवासी ब्रजपाल शाक्य पर दुकान में बिजली चोरी करने का मुकदमा दर्ज कराया गया था, साथ ही 81 हजार 947 रूपये का जुर्माना लगाया गया था। जुर्माना जमा न हो पाने के कारण ब्रजपाल के नाम 3 नवंबर 2018 को आरसी जारी कर दी गई थी। 23 सितंबर 2019 को तहसील प्रशासन ने ब्रजपाल को गिरफ्तार कर हवालात में बंद कर दिया था।

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हवालात में बंद ब्रजपाल की 3 सितंबर 2019 को मंजन करते समय हालत बिगड़ गई थी। सूचना मिलने पर तहसीलदार ब्रजपाल का नाटक बताते रहे। हालात गंभीर होने पर प्रशासन ने सुध ली पर, चाबी न मिलने के कारण काफी देर तक अफरा-तफरी मची रही। हवालात का ताला ईंटों से तोड़ा गया था, जिसके बाद ब्रजपाल को सीएचसी लाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद ब्रजपाल को जिला मुख्यालय के लिए रेफर कर दिया गया पर, ब्रजपाल ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था।

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ब्रजपाल की मौत के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया था। कार्रवाई करने की जगह प्रशासनिक अफसरों ने स्वयं को बचाने की दिशा में पहल करना शुरू कर दी थी लेकिन, विपक्ष ने मुद्दे को उछाल दिया था। धर्मेन्द्र यादव ब्रजपाल शाक्य की मौत के प्रकरण को लगातार उठाते रहे थे, वे फेसबुक, ट्वीटर पर लिखने के साथ प्रदेश भर में जन-सभाओं में भी घटना का उल्लेख करते रहे, उनके आह्वान पर दिल्ली और इलाहाबाद में प्रदर्शन भी किये गये थे। धर्मेन्द्र यादव मृतक के परिवार से मिलने गये थे एवं पचास हजार रूपये से आर्थिक मदद भी की थी, उनके अलावा डॉ. नवलकिशोर शाक्य ने पचास हजार रूपये देकर बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाने का वचन दिया था। अखिल भारतीय मौर्य महासभा ने भी ब्रजपाल शाक्य के घर जाकर 20563 रूपये का चेक दिया था।

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प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट कर सरकार की आलोचना की थी। भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य परिजनों से मिली थीं और सहायता करने का आश्वासन दिया था पर, परिजन संतुष्ट नहीं हुए थे। हालाँकि प्रशासन ने निचले स्तर पर कार्रवाई भी की थी पर, प्रशासनिक कार्रवाई से असंतुष्ट परिजन न्यायालय की शरण में चले गये थे। विधवा लक्ष्मी देवी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में धारा- 156 (3) के अंतर्गत प्रार्थना पत्र दिया था, जिस पर सुनवाई के बाद थाना जरीफनगर के एसओ को मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने का आदेश पारित किया गया है। प्रार्थना पत्र में एसडीएम संजय सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया है, उनके साथ तहसीलदार धीरेन्द्र सिंह और नायब तहसीलदार राजुकमार सिंह भी आरोपी हैं, इन पर ब्रजपाल को पीटने का आरोप लगाया गया है।

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