बदायूं जिले की पुलिस जमकर मनमानी करती नजर आ रही है। प्लॉट पर अवैध कब्जा करने के प्रकरण में पुलिस खुल कर सपा नेता के साथ खड़ी हो गई है, वहीं ब्रजपाल शाक्य हत्या कांड में भी न्यायालय के आदेश के बावजूद पुलिस मुकदमा दर्ज नहीं कर रही है। बेटे के साथ विधवा ने धरना दिया।
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उल्लेखनीय है कि सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला जालंधरी सराय में साजिद परवेज और आदिल परवेज ने प्रेम कुमार पुत्र ज्वाला प्रसाद से 292.60 वर्ग मीटर प्लॉट खरीदा था। साजिद परवेज फिलहाल मुंबई और आदिल परवेज दिल्ली में रहते हैं। पिछले दिनों इस प्लॉट को एक सपा नेता ने कब्जा लिया और कार पार्क करा कर वसूली करने लगा। किसी तरह जानकारी होने पर आदिल परवेज और साजिद परवेज यहाँ आये और कार पार्किंग करा रहे सपा नेता से जानकारी ली तो, उन्हें ज्ञात हुआ कि सपा नेता ने प्लॉट के किराये का फर्जी एग्रीमेंट तैयार करा लिया है।
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साजिद परवेज निजी प्लॉट के किराये का फर्जी एग्रीमेंट देख कर स्तब्ध रह गये, उन्होंने सदर कोतवाली में फर्जी दस्तावेज तैयार करने को लेकर तहरीर दी और मुकदमा दर्ज करते हुए प्लॉट खाली कराने की गुहार लगाई लेकिन, तहरीर पर यथोचित कार्रवाई नहीं हुई तो, पीड़ित साजिद परवेज एसएसपी और डीआईजी के पास गुहार लगाने गया लेकिन, सपा नेता का भाजपा नेता और पुलिस से भ्रष्टाचार का गहरा नाता होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पुलिस सपा नेता के पक्ष में ही कार्रवाई करती नजर आ रही है। पुलिस का कहना है कि धारा- 145 सीआरपीसी के अंतर्गत कार्रवाई कर दी गई है एवं प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है, जबकि इसी अन्याय के विरुद्ध पीड़ित आवाज उठा रहा है। सपा नेता ने पुलिस की सलाह पर खालिद परवेज के विरुद्ध किराए को लेकर परिवाद दायर कर किया है, जबकि प्रकरण यह है कि खालिद ने सपा नेता को साजिद के फर्जी हस्ताक्षर कर किराये का फर्जी एग्रीमेंट कर दिया। स्पष्ट है कि मुकदमा दर्ज कर सपा नेता को जेल भेजने की जगह पुलिस सपा नेता को बचाने में जुटी हुई है।
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उधर ब्रजपाल शाक्य प्रकरण में विधवा लक्ष्मी देवी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में धारा- 156 (3) के अंतर्गत प्रार्थना पत्र दिया था, जिस पर सुनवाई के बाद 28 जनवरी 2020 को थाना जरीफनगर के एसओ को मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने का आदेश पारित किया गया था। प्रार्थना पत्र में एसडीएम संजय सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया है, उनके साथ तहसीलदार धीरेन्द्र सिंह और नायब तहसीलदार राजुकमार सिंह भी आरोपी हैं, साथ ही दो अज्ञात होमगार्ड हैं, इन पर ब्रजपाल को पीटने का आरोप लगाया गया है लेकिन, अभी तक थाना पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज नहीं किया है। अधिवक्ता ने बताया कि थाना प्रभारी ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र भेज कर एक सप्ताह का समय माँगा है। अंबेडकर पार्क में धरने पर बैठी विधवा का कहना है कि न्याय नहीं मिला तो, वह जान दे देगी।
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बता दें कि गाँव जरीफनगर निवासी ब्रजपाल शाक्य पर दुकान में बिजली चोरी करने का मुकदमा दर्ज कराया गया था, साथ ही 81 हजार 947 रूपये का जुर्माना लगाया गया था। जुर्माना जमा न हो पाने के कारण ब्रजपाल के नाम 3 नवंबर 2018 को आरसी जारी कर दी गई थी। 23 सितंबर 2019 को तहसील प्रशासन ने ब्रजपाल को गिरफ्तार कर हवालात में बंद कर दिया था।
हवालात में बंद ब्रजपाल की 3 सितंबर 2019 को मंजन करते समय हालत बिगड़ गई थी। सूचना मिलने पर तहसीलदार ब्रजपाल का नाटक बताते रहे। हालात गंभीर होने पर प्रशासन ने सुध ली पर, चाबी न मिलने के कारण काफी देर तक अफरा-तफरी मची रही। हवालात का ताला ईंटों से तोड़ा गया था, जिसके बाद ब्रजपाल को सीएचसी लाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद ब्रजपाल को जिला मुख्यालय के लिए रेफर कर दिया गया पर, ब्रजपाल ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था।
ब्रजपाल की मौत के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया था। कार्रवाई करने की जगह प्रशासनिक अफसरों ने स्वयं को बचाने की दिशा में पहल करना शुरू कर दी थी लेकिन, विपक्ष ने मुद्दे को उछाल दिया था। धर्मेन्द्र यादव ब्रजपाल शाक्य की मौत के प्रकरण को लगातार उठाते रहे थे, वे फेसबुक, ट्वीटर पर लिखने के साथ प्रदेश भर में जन-सभाओं में भी घटना का उल्लेख करते रहे, उनके आह्वान पर दिल्ली और इलाहाबाद में प्रदर्शन भी किये गये थे। धर्मेन्द्र यादव मृतक के परिवार से मिलने गये थे एवं पचास हजार रूपये से आर्थिक मदद भी की थी, उनके अलावा डॉ. नवलकिशोर शाक्य ने पचास हजार रूपये देकर बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाने का वचन दिया था। अखिल भारतीय मौर्य महासभा ने भी ब्रजपाल शाक्य के घर जाकर 20563 रूपये का चेक दिया था।
प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट कर सरकार की आलोचना की थी। भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य परिजनों से मिली थीं और सहायता करने का आश्वासन दिया था पर, परिजन संतुष्ट नहीं हुए थे। हालाँकि प्रशासन ने निचले स्तर पर कार्रवाई भी की थी पर, प्रशासनिक कार्रवाई से असंतुष्ट परिजन न्यायालय की शरण में चले गये थे।
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