बदायूं जिले में भारतीय जनता पार्टी का दायित्व संभाल रहे हरीश कुमार शाक्य पर बिजली विभाग के अफसरों ने मारपीट और तोड़-फोड़ करने का आरोप लगाया था। हरीश कुमार शाक्य सहित 15-20 कार्यकर्ताओं के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया था, जो पुलिस की जाँच फर्जी पाया गया है। पुलिस ने मुकदमा समाप्त करने की दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी है।
उल्लेखनीय है कि बिजली विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही की शिकायतों को लेकर पीड़ितों के साथ भाजपा जिलाध्यक्ष हरीश कुमार शाक्य 29 जनवरी को दोपहर के समय बिजली विभाग के कार्यालय में गये थे, उन्होंने प्रथम खंड के अधिशासी अभियंता विजेंद्र सिंह से पीड़ितों की समस्याओं का निराकरण प्राथमिकता के आधार पर न होने का कारण पूछा, तो ईई विजेंद्र सिंह ने नकारात्मक जवाब दिया था, इस पर साथ गये लोगों ने हंगामा करना शुरू कर दिया था। जिलाध्यक्ष हरीश कुमार शाक्य लोगों को समझा कर लौट गये थे।
हरीश कुमार शाक्य के जाने के बाद ईई विजेंद्र सिंह और जेई पवन कुमार ने आरोप लगाया था कि उन्हें हरीश कुमार शाक्य और उनके साथ आये तमाम भाजपाईयों ने पीटा है। कार्यालय का फर्नीचर भी तोड़ दिया गया है। पवन कुमार का कहना था कि उनकी अंगुली भी टूट गई है, इस प्रकरण में थाना सिविल लाइंस में जिलाध्यक्ष हरीश कुमार शाक्य को नामजद करते हुए 15-20 अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया था।
उक्त प्रकरण की पुलिस ने जाँच शुरू की, तो बिजली विभाग के अफसरों के आरोप झूठे पाये। भ्रष्टाचार और लापरवाही को लेकर बिजली विभाग के अफसर ही कठघरे में खड़े नजर आ रहे हैं, जिससे पुलिस ने हरीश कुमार शाक्य पर लिखाये गये मुकदमा को समाप्त करने की दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी है।
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