बदायूं जिले में भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष अंकित मौर्य का कार्यकाल पूरा हो गया है। परंपरा के अनुसार अंकित मौर्य को ही पुनः अवसर मिलना चाहिए था लेकिन, अब भाजपा की सरकार है, इसलिए कई सारे लोग गोटियाँ बैठाने में जुटे हुए नजर आ रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकांश दावेदार अधेड़, थके-हारे और दल-बदलू हैं, जबकि भाजपा के पास चुस्त-दुरुस्त और निर्विवाद युवाओं की लंबी सूची है पर, उनके नाम चर्चा तक में नहीं हैं।
कुलदीप वार्ष्णेय के निलंबन के बाद अंकित मौर्य को भाजयुमो का कार्यकारी अध्यक्ष मनोनीत किया गया था। अंकित मौर्य ने संगठन को मजबूती दी, साथ ही उन्हें जो भी कार्य दिया गया, उसमें सफलता प्राप्त की। कई सफल कार्यक्रम आयोजित कराये, जिससे भाजयुमो ने अपनी अलग पहचान बनाई। अंकित मौर्य का कार्यकाल पूरा हो गया है। परंपरा के अनुसार भाजपा दूसरा अवसर भी देती है लेकिन, वर्तमान में केंद्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है, इस स्वर्णिम अवसर का लाभ लेने को कई सारे लोग भाजयुमो के जिलाध्यक्ष पद का दायित्व हथियाना चाहते हैं।
कथित दावेदारों के गॉड फादर अपनी-अपनी तरह से तर्क गढ़ रहे हैं, कोई कह रहा है कि भाजपा जिलाध्यक्ष हरीश कुमार शाक्य हैं, इसलिए भाजयुमो जिलाध्यक्ष अन्य जाति का होना चाहिए, कोई क्षेत्रवाद के नाम पर दावेदारी ठोंक रहा है तो, कोई किसी बड़े नेता का पिछलग्गू होने के कारण आश्वस्त है। अधिकांश दावेदारों में अधेड़ हैं, जबकि भाजयुमो का जिलाध्यक्ष युवा होना चाहिए। कुछेक दावेदार पिछले नगर निकाय चुनाव में हार कर पार्टी की फजीहत करा चुके हैं। सामान्यतः भाजयुमो में मेहनत करने के बाद चुनाव लड़े जाते हैं और जो पहले से ही हार का कलंक लिए घूम रहे हैं, वह संगठन का दुरूपयोग ही करेंगे। नगर निकाय के साथ जिला पंचायत चुनाव हार चुके लोग भी दावेदार बताये जा रहे हैं।
अधेड़ और चुनाव हार चुके लोगों के साथ दल-बदलू भी दावा ठोंक रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि समाजवादी पार्टी और बसपा छोड़ कर भाजपा सरकार में मलाई खाने आये लोग भी स्वयं को अब न सिर्फ बचपन से संघी बता रहे हैं बल्कि, भाजयुमो के जिलाध्यक्ष पद पर दावा भी ठोंक रहे हैं, जबकि चुस्त-दुरुस्त, सक्रिय और निर्विवाद युवाओं की भाजपा के पास कमी नहीं हैं। अधिकांश युवा अंकित मौर्य को पुनः अवसर देने के पक्ष में हैं लेकिन, बदलाव होने की अवस्था में मूल भाजपाई और युवा को अवसर देने की भी वकालत कर रहे हैं। चापलूसी के बल पर गलत व्यक्ति भाजयुमो जिलाध्यक्ष का दायित्व हथियाने में सफल हो गया तो, संगठन को बड़ा नुकसान हो सकता है। 2019 के चुनाव में भाजयुमो का जिलाध्यक्ष महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा, यह बात शीर्ष नेतृत्व को ध्यान में रखनी होगी।
(गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)