तानाशाही के चलते अंदर ही अंदर उबल रही है भाजपा, समन्वयक ने दिया त्याग पत्र

तानाशाही के चलते अंदर ही अंदर उबल रही है भाजपा, समन्वयक ने दिया त्याग पत्र

बदायूं जिले में भारतीय जनता पार्टी अंदर ही अंदर उबल रही है। तापमान उच्चतम शिखर की ओर निरंतर बढ़ रहा है, इस ओर प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी ने ध्यान नहीं दिया तो, कुछ भी हो सकता है। माना जा रहा है कि स्थानीय पदाधिकारियों की आपत्तियों का निराकरण नहीं किया गया तो, नगर निकाय चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है।

भाजपा की प्रदेश एवं देश में मोदी लहर के चलते आसानी से सरकार बन जाती है, जिससे कमजोरियों पर गंभीरता से मंथन नहीं किया जाता। गत विधान सभा चुनाव में भाजपा के पांच की जगह तीन ही विधायक रह गये लेकिन, प्रदेश में सरकार बनने के कारण भाजपा ने दो हारे हुए विधायकों को लेकर स्थानीय संगठन के पेंच नहीं कसे। हाल-फिलहाल की बात करें तो, नगर निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं लेकिन, स्थानीय संगठन गत चुनाव से सबक नहीं ले रहा है। गत चुनाव की बात करें तो, भाजपा नगर निकाय चुनाव में बुरी तरह से हारी थी लेकिन, जीतने के बाद निर्दलीय और सपा के चेयरमैन भाजपा में सम्मिलित हो गये थे, जिससे भाजपा इतराने लगी थी, साथ ही बदायूं, दातागंज और बिल्सी नगर पालिका परिषद ने लाज बचा ली थी।

पिछला नगर निकाय चुनाव हारने के जो कारण थे, उनको पुनः दोहराया जा रहा है, जिससे न सिर्फ कार्यकर्ताओं में बल्कि, पदाधिकारियों और विधयाकों में भी असंतोष दिखाई दे रहा है। नगर पंचायतों के प्रभारी और समन्वयक नियुक्त करने को लेकर भाजपा अंदर ही अंदर उबल रही है। कहा जा रहा है कि चहेतों को टिकट देने को फील्डिंग लगाई रही है। सोशल साइट्स पर कार्यकर्ता और समर्थक खुल कर आलोचना करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

नियमों की बात करें तो, कहा जा रहा था कि टिकट मांगने वालों और उनके परिजनों को चुनाव संबंधी दायित्व नहीं दिया जायेगा लेकिन, गौरव कुमार “गोल्डी” जिला सह-संयोजक बनाये गये हैं, जो उसहैत नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन हैं, साथ ही वर्तमान में उनकी पत्नी सैनरा वैश्य चेयरमैन हैं। हालाँकि पिछली बार सैनरा वैश्य ने भाजपा से टिकट नहीं माँगा था, वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनी गई थीं और बाद में स्वयं को भाजपाई कहने लगी थीं, क्योंकि उनकी भाजपा में सम्मिलित होने की कभी कोई घोषणा नहीं हुई, वे फिलहाल सिविल लाइंस मंडल की प्रभारी हैं और टिकट भी मांग रही हैं, इसके बावजूद उनके पति गौरव कुमार “गोल्डी” जिला सह-संयोजक हैं, क्योंकि भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता उनके सगे बहनोई हैं।

असंतोष का दूसरा कारण यह बताया जा रहा है कि छोटे पदाधिकारियों को जिला स्तरीय दायित्व दे दिए हैं, जबकि जिला उपाध्यक्षों और जिला महामंत्रियों को नगर पंचायतों का प्रभारी बनाया गया है, साथ ही मंडल स्तरीय कार्यकर्ताओं को भी जिला स्तरीय पदाधिकारियों के समकक्ष ही दायित्व दे दिए गये हैं, जिससे जिला स्तरीय पदाधिकारी ग्लानि की अनुभूति कर रहे हैं।

भाजपा बैठकें और चर्चा करने वाली पार्टी मानी जाती है। विपक्षी नारा भी देते थे कि भाजपा के तीन काम, बैठक, भोजन और आराम पर, माना जा रहा है कि जिलाध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता विधायकों, साथी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से संवाद करने में विश्वास नहीं करते, उन्होंने विधयाकों और साथी पदाधिकारियों के साथ बैठ कर चर्चा की होती तो, आज पार्टी के अंदर असंतोष दिखाई नहीं दे रहा होता। संवाद न करने का ही दुष्परिणाम है कि नगर पंचायत कुंवरगांव के समन्वयक शिव कुमार मौर्य ने त्याग पत्र दे दिया है। बताया जा रहा है कि शिव कुमार मौर्य बूथ अध्यक्ष हैं और कुंवरगांव नगर पंचायत अगर, पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुई तो, वे अध्यक्ष पद हेतु टिकट के भी दावेदार हैं पर, उनसे समन्वयक बनाने के संबंध में किसी ने चर्चा तक नहीं की।

समन्वयक बनाने के संबंध में शिव कुमार मौर्य को जैसे ही जानकारी हुई, वैसे ही वे स्तब्ध रह गये और तत्काल उन्होंने जिलाध्यक्ष के नाम त्याग पत्र भेज दिया, इससे स्पष्ट है कि जिलाध्यक्ष को टिकट के दावेदारों के बारे में भी जानकारी नहीं है वरना, वे शिव कुमार मौर्य को समन्वयक न बनाते, ऐसे में यह सवाल और यह आशंका उठना स्वभाविक ही है कि टिकट तय करते समय नियमों का पालन नहीं किया जायेगा, साथ ही चहेतों को टिकट देने का प्रयास किया जायेगा। अगर, ऐसा ही चलता रहा तो, भाजपा की हालत पिछले नगर निकाय चुनाव की तरह ही बदतर हो सकती है, इसलिए समय रहते प्रदेश स्तर के पदाधिकारी को हस्तक्षेप करना पड़ेगा। हालाँकि आज ब्रज क्षेत्र की बदायूं में ही बैठक हुई थी, जिसमें प्रांतीय महामंत्री अश्वनी त्यागी और ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष रजनीकांत माहेश्वरी के साथ अन्य तमाम पदाधिकारी जुटे, उन्हें सभवतः उक्त संबंध में अनुभूति एवं जानकारी हो गई होगी।

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