बदायूं लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की सांसद संघमित्रा मौर्य दिल्ली से आईं और कुछ घंटे ठहर कर लखनऊ चली गईं लेकिन, उनकी चर्चा 24 घंटे बाद भी बरकरार है। भाजपा कार्यकर्ता तो मौन हैं लेकिन, समर्थक मायूस नजर आ रहे हैं। डेढ़ महीने के अंदर ही समर्थक आंकलन कर आलोचना करने लगे हैं और धर्मेन्द्र यादव की कमी महसूस करने लगे हैं।
23 मई को मतगणना हुई थी। विजयी घोषित होने के बाद संघमित्रा मौर्य सामूहिक रूप से प्रेसवार्ता नहीं कर पाई थीं एवं आम जनता के बीच नहीं जा पाई थीं। शपथ ग्रहण के साथ लोकसभा में कार्रवाई भी शुरू हो गई थी, जिससे वे दिल्ली में व्यस्त भी हो गईं, इस दौरान उन्होंने बबराला में ट्रेन के रुकने को लेकर आवाज भी उठाई, जिसको लेकर उनकी प्रशंसा की गई पर, आम जनता के बीच न जाने को लेकर लोग चर्चा भी करते नजर आ रहे थे।
क्षेत्र में चली रही चर्चायें संघमित्रा मौर्य तक पहुंची होंगी, सो उन्होंने 7 जुलाई को बदायूं आने का कार्यक्रम घोषित कर दिया और 6 जुलाई को ही पत्रकारों को भी आमंत्रित कर लिया। बात सार्वजनिक हो गई तो, पत्रकार और आम जनता उनके आने का इंतजार करने लगे। बताते हैं कि वे बदायूं आने के लिए दिल्ली से ट्रेन द्वारा बरेली आईं। बरेली में कुछ घंटे ठहर कर बदायूं आईं, जिससे उनके पास पर्याप्त समय नहीं बचा। पत्रकार पहुंचे पर, उनसे विधिवत परिचय नहीं हो सका। आपाथापी में पत्रकारों ने एक-दो सवाल किये, जिसके बाद वार्ता खत्म हो गई।
संघमित्रा मौर्य को लगा होगा कि वे बदायूं आई हैं और पर्याप्त समय नहीं है, सो स्वयं को जनता का हितैषी दर्शाने और चर्चाओं में बने रहने के उद्देश्य से जिला महिला अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंच गईं, लोगों को बड़ी खुशी हुई। चर्चा होने लगी कि संघमित्रा मौर्य लापरवाहों के विरुद्ध जरुर कार्रवाई करायेंगी लेकिन, हुआ एक दम उल्टा, उन्होंने आम जनता को ही कठघरे में खड़ा कर दिया, जिसकी व्यापक स्तर पर चर्चा की जा रही है।
विख्यात कवि डॉ. उर्मिलेश शंखधार की 7 जुलाई को 68वीं जयंती थी, उन्हें न सिर्फ बदायूं बल्कि, साहित्य जगत में याद किया जा रहा था, इस अवसर पर उनके सुपुत्र अक्षत अशेष ने 68 पौधे रोपने की योजना बनाई थी, इस कार्यक्रम में उन्होंने तमाम वीवीआईपी आमंत्रित किये थे, उन्होंने सांसद संघमित्रा मौर्य को भी आमंत्रित किया था, साथ ही संघमित्रा मौर्य ने आने का वचन भी दिया था लेकिन, वे बदायूं में होने के बावजूद कार्यक्रम में नहीं पहुंची, जबकि उनके नाम का ट्री गार्ड तैयार था, जो बदायूं क्लब में संघमित्रा मौर्य की स्वयं ही आलोचना करता नजर आ रहा है। हालाँकि कार्यक्रम में पहुंच कर सदर विधायक महेश चंद्र गुप्ता और जिलाध्यक्ष हरीश शाक्य ने संघमित्रा मौर्य की भरपाई करने का प्रयास किया, फिर भी संघमित्रा मौर्य की चर्चा रुक नहीं पा रही है।
बात यहीं खत्म नहीं होती। संघमित्रा मौर्य के आने की खबर फैल चुकी थी, जिससे आम जनता भी बड़ी संख्या में उनसे मिलने आई थी पर, संगठन मंत्री भवानी सिंह के द्वारा बुलाई गई बैठक से निकलने के बाद आम जनता से नहीं मिलीं। सैकड़ों लोग हाथ में प्रार्थना पत्र लिए इस आशा से खड़े थे कि सांसद उनकी समस्या सुनने के बाद त्वरित निराकरण करायेंगी पर, अधिकाँश लोगों के प्रार्थना पत्र भी उन तक नहीं पहुंच सके, ऐसी ही अन्य तमाम बातों को लेकर वे चर्चाओं में निरंतर बनी हुई हैं।
लोग धर्मेन्द्र यादव की कार्यप्रणाली से तुलना कर मायूसी व्यक्त करते नजर आ रहे हैं, क्योंकि धर्मेन्द्र यादव क्षेत्र में सर्वाधिक समय देने वाले सांसदों में देश में संभवतः पहले नंबर पर थे, साथ ही वे आम जनता की बात गंभीरता से सुनने के बाद समस्या का निराकरण भी कराते थे, इसलिए अब लोगों को उनकी कमी खलने लगी है।
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