कुलदीप शर्मा
बदायूं का बेसिक शिक्षा विभाग कुरुक्षेत्र बना हुआ नजर आ रहा है। महाभारत की तरह ही सबका लक्ष्य जीत है, जिसके लिए नैतिकता कोई मायने नहीं रखती। बीएसए ने नियमों की धज्जियां उड़ा रखी हैं, वहीं लिपिक ने भी पूरा तांडव मचा रखा है। पद और अधिकार ज्यादा होने के कारण अभी तक बीएसए भारी पड़ रहे हैं।
तांडव बीएसए कार्यालय में कार्यरत लिपिक अमित भास्कर पर स्थानांतरण की कार्रवाई को लेकर शुरू हुआ था। स्थानांतरण को लेकर अमित भास्कर की पत्नी दल-बल के साथ मंगलवार को बीएसए रामपाल सिंह राजपूत से बात करने पहुंची थी और कारण जानना चाहा था, इस दौरान कार्यालय में अफरा-तफरी का माहौल बन गया, अभद्रता भी हुई, पुलिस आ गई, जिसके बाद सभी लोग थाना सिविल लाइंस पहुंच गये, जहाँ बीएसए पर यौन उत्पीड़न और एससी एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई करने का दबाव बनाया गया लेकिन, पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। लिपिक की पत्नी ने डीएम से भी शिकायत की थी।
उधर बीएसए रामपाल सिंह राजपूत ने डीएम को संबोधित करते एसएसपी, सीओ और थानाध्यक्ष सिविल लाइंस को पत्र लिख दिया, जिसमें 60-70 महिलाओं और 100-110 पुरुषों पर कार्यालय में आकर सरकारी कार्य में बाधा डालने व अभद्रता करने का आरोप लगाया, जिस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है।
यह भी बता दें कि बीएसए ने अमित भास्कर पर कार्रवाई की, साथ ही एक सफेदपोश के रिश्तेदार को अमित भास्कर की जगह नियुक्ति दे डाली, जबकि पात्र मृतक आश्रित नियुक्ति पाने के लिए लंबे समय से भटक रहे हैं, इससे पहले भी वर्ष- 2019 में अमित भास्कर पर इसी तरह के आरोप लगाकर कार्रवाई कर सफेदपोश के रिश्तेदार को नियुक्ति देने का प्रयास किया गया था लेकिन, अमित भास्कर ने हाईकोर्ट की शरण ले ली थी, जहाँ से स्टे मिलने के कारण कार्य करने लगे थे।
सूत्रों का कहना है कि जिले में स्वेटर वितरण के लिये इस वर्ष हाथरस की एक फर्म को टेंडर मिला था। फर्म के मालिकों व बीएसए के बीच सेटिंग होने की चर्चा है, इसी फर्म के भुगतान को लेकर बीएसए लगातार अमित भास्कर पर दबाव बना रहे थे। तेजतर्रार सीडीओ आईएएस निशा अनंत निगरानी करती हैं, जिससे अमित भास्कर ने पत्रावली आगे बढ़ाने से मना कर दिया था, इसी बात पर बीएसए रामपाल सिंह राजपूत चिढ़ गये और फिर अमित भास्कर पर कार्रवाई कर दी।
बताते हैं कि बीएसए रामपाल सिंह राजपूत 28 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, ऐसे में लिपिक पर कार्रवाई करना विभागीय कर्मचारियों को भी नहीं भा रहा है। बीएसए भी विवादित रहे हैं, उन्होंने करौलिया स्थित स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति व उनके वेतन भुगतान के लिये फाइल को पास किया था, साथ ही उच्चाधिकारियों की जांच को भी दरकिनार कर दिया था, इसके अलावा फर्नीचर, बॉ स्कूलों में नियम विरूद्ध शिक्षकों की नियुक्ति, किचन व गार्डन बनाने में फर्म से आर्थिक समझौता होने की चर्चा रही है, मनमाने ढंग से शिक्षकों का संबद्धीकरण, कार्यालय में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से अभद्रता करना आम बात रही है।
बीएसए पर स्कूलों में खाद्य सामग्री सप्लाई करने वालों ने भी गंभीर आरोप लगाये थे, इस संबंध में कुछ सप्लायरों ने डीएम से लिखित शिकायत भी की थी, जिसके बाद बीएसए की जिले भर में खासा फजीहत हुई थी, इसके बावजूद शिकायत करने वाले सप्लायरों से काम छीन कर दूसरे सप्लायरों को दे दिया गया, इसके बाद कई सप्लायरों ने कार्य करने से ही मना कर दिया था।
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