बदायूं जिले के माथे से बड़े नेताओं का प्रतिनिधित्व करने के बावजूद पिछड़ेपन का कलंक नहीं मिट पा रहा है, इसके पीछे सबसे बड़ा कारण भ्रष्ट अफसर ही रहे हैं। सरकारें आम जनता के हित में योजनायें बनाती हैं, सरकारें चाहती हैं कि अपराध न हो पर, भ्रष्ट अफसर योजनाओं का लाभ पात्रों तक नहीं पहुंचने देते। थाने बेचे जाते हैं, जिससे कर्मठ इंस्पेक्टर इधर-उधर पड़े रहते हैं लेकिन, लंबे समय बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि जिले में आईएएस अफसर डीएम है और आईपीएस अफसर को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का दायित्व दिया गया है, इन दोनों अफसरों का जिले को लाभ मिलना स्वाभाविक ही है।
जिले का प्रतिनिधित्व लंबे समय से बड़े नेता करते रहे हैं। मुलायम सिंह यादव, प्रो. रामगोपाल यादव, सलीम इकबाल शेरवानी, कृष्ण स्वरूप वैश्य, शरद यादव, मायावती और धर्मेन्द्र यादव जैसे नेता प्रतिनिधित्व करते रहे हैं, वर्तमान में सदर विधायक महेश चंद्र गुप्ता राज्यमंत्री हैं, इन सबका भाव जिले का विकास करने का ही रहा है। मुलायम सिंह यादव, प्रो. रामगोपाल यादव और धर्मेन्द्र यादव के कार्यकाल में अभूतपूर्व विकास कार्य हुए। महेश चंद्र गुप्ता भी लगातार धन लाने की दिशा में पहल करते रहते हैं। दातागंज क्षेत्र के भाजपा विधायक राजीव कुमार सिंह “बब्बू भैया” कई बड़े प्रोजेक्ट लाने में सफल रहे हैं, जिससे जिला विकास के पथ पर दौड़ता तो नजर आता है लेकिन, भ्रष्ट अफसरों के चलते आम जनता को विकास का अक्षरशः लाभ नहीं मिल पाता।
योजनाओं और नीतियों का लाभ न मिलने का सबसे बड़ा कारण यही है कि जिले में अधिकांशतः प्रमोटेड आईएएस अफसर और प्रमोटेड आईपीएस अफसर ही तैनात रहे हैं। प्रमोटेड अफसरों के बारे में कहा जाता है कि वे भ्रष्टाचार में हिस्सेदार बन जाते हैं, जिससे अधीनस्थ नहीं डरते और जब अधीनस्थ नहीं डरते तो, आम जनता का लगातार शोषण होता रहता है। जिले में अधिकांश समय थाने बिकते ही रहे हैं, जिससे अच्छे इंस्पेक्टर थानेदार बनने से वंचित रह जाते हैं। टेंडर लेकर थानेदार बनने वाले इंस्पेक्टर आम जनता के हित में कार्य चाह कर भी नहीं कर सकते। माफिया और दलाल थानों की पहचान बन गये हैं, इसीलिए आम जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। थाने बेचने और खरीदने का कोई साक्ष्य नहीं है पर, बेचने और खरीदने वाले तो जानते ही हैं कि वे क्या करते रहे हैं।
जिले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का दायित्व जब-जब आईपीएस अफसर को मिला है, वह कार्यकाल यादगार माना जाता है। एसएसपी के रूप में एन. पद्मजा, प्रकाश डी. पीसी मीना, तरुण गाबा, मंजिल सैनी, एलआर कुमार आज भी याद किये जाते हैं, यह अफसर रात में किसी भी समय थानों में पहुंच जाते थे। आईएएस अफसरों में सेंथिल पांडियान सी., नवदीप रिणवा, अमित गुप्ता, एम. देवराज, अजय कुमार, जीएस प्रियदर्शी, मयूर महेश्वरी का कार्यकाल स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है, इन जिलाधिकारियों के सामने अधीनस्थ कांपते थे।
ऐसा कोई कानून नहीं है कि सब प्रमोटेड अफसर गलत ही होते हैं अथवा, सब कैडर वाले अच्छे ही होते हैं। कुछेक अपवाद भी हैं। डीके चौधरी जिले के एसएसपी रहे थे, उनके कार्यकाल को आज भी आदर्श कार्यकाल के रूप में याद किया जाता है, इसी तरह आईएएस भी अपनी छाप नहीं छोड़ पाते। सीडीओ का दायित्व आईएएस निशा अनंत के पास है लेकिन, विकास भवन के हालात बेहद खराब बताये जाते हैं, वहां कर्मचारी समय से नहीं आते और बिना पैसे के कोई काम नहीं करते।
खैर, जिले में अद्भुत संयोग बन रहा है। युवा आईएएस कुमार प्रशांत जिलाधिकारी हैं और अब युवा आईपीएस संकल्प शर्मा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बनाये गये हैं, यह दोनों अफसर जिले के माथे पर लगे तमाम कलंकों को मिटाने में सफल हो सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि संकल्प शर्मा टेंडर व्यवस्था को निरस्त कर ईमानदार और तेजतर्रार इंस्पेक्टर्स को प्रभारी बनायेंगे और आम जनता को सुरक्षा एवं सम्मान प्रदान करेंगे, अपराध मुक्त कर जिले को आदर्श श्रेणी में पहुंचाएंगे।
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