मगरमच्छों पर कार्रवाई न होने से पुलिस-प्रशासन और सरकार की फजीहत

मगरमच्छों पर कार्रवाई न होने से पुलिस-प्रशासन और सरकार की फजीहत

बदायूं जिले के बड़े भू-माफियाओं के चेहरों पर चिंता की एक लकीर तक नजर नहीं आ रही है। प्रदेश सरकार के निर्देश पर एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स बनाया गया, तो बड़े भू-माफियाओं में खलबली नहीं मची और अभियान चलने पर अब भी बड़े भू-माफिया प्रभावित नहीं हो रहे हैं। गांवों में गरीब तबके के लोगों ने ग्राम समाज की जमीनों पर कब्जे कर रखे हैं, वे जरुर प्रभावित हो रहे हैं। हालाँकि छोटे स्तर पर कार्रवाई होना गलत नहीं हैं, पर पहले मगरमच्छों को निशाना बनाया जाता, तो छोटे स्वतः ही कब्जा छोड़ कर भाग जाते, इससे पुलिस, प्रशासन और सरकार के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ता, पर इस दोहरी नीति से सबकी फजीहत हो रही है।

शहर क्षेत्र की बात करें, तो चारों दिशाओं में माफियाओं ने अपना जाल बिछा रखा है, ऐसा कोई क्षेत्र नहीं हैं, जहाँ माफियाओं ने जमीन न कब्जाई हो। पुलिस विभाग तक की जमीन कब्जाई जा चुकी है, पर माफियाओं के विरुद्ध एक एनसीआर तक दर्ज नहीं हुई है, जिससे माफियाओं का दुस्साहस इस हद तक बढ़ गया कि चांदमारी का भी बैनामा करा दिया गया है।

तालाबों के संबंध में उच्चतम न्यायालय का स्पष्ट आदेश है कि निजी तालाब को भी समतल नहीं किया जा सकता, इसके बावजूद शहर क्षेत्र में ही अधिकांश तालाबों की हत्या हो चुकी है। सपा सरकार में प्राचीन तालाब चंदोखर को भी माफिया खुलेआम निगल गये। नगल शर्की में तालाब की जगह माफियाओं के भवन आसमान छू रहे हैं, इसी तरह श्रीराम कॉलोनी की नींव तालाब की कब्र पर ही रखी गई है।

सरकार परिवर्तन के बाद लोगों को लगा था कि माफियाओं की कमर तोड़ दी जायेगी। एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स बना, तो लोगों को लगा कि अब बहुत जल्द माफिया सलाखों के पीछे जायेंगे, पर हुआ उल्टा। बड़े भू-माफिया शीर्ष अफसरों के साथ मस्ती करते नजर आ रहे हैं और गाँव के गरीबों पर डंडा फटकार कर प्रशासन वाह-वाह लूटने का प्रयास कर रहा है।

शहर क्षेत्र से हट कर ग्रामीण क्षेत्रों की बात की जाये, तो डीपी यादव की यदु सुगर मिल अवैध रूप से कब्जाई गई जमीन पर स्थापित की गई है। डीपी यादव ने अपने परिजनों, रिश्तेदारों और गुर्गों को गाँव सुजानपुर का मूल निवासी दर्शा कर फर्जी पट्टे बनवा लिए, फिर अन्य कथित पट्टाधारकों ने डीपी के छोटे बेटे कुनाल के नाम बैनामा कर दिए, जिसके बाद सुगर मिल स्थापित कर दी, इस पर भी बड़ा ऋण लिया गया है एवं किसानों का रुपया भी बकाया है, मतलब चारों ओर से लाभ डीपी एंड फैमिली का ही है, पर प्रशासन कभी कार्रवाई नहीं करता।

इसी तरह कटरी क्षेत्र में करोड़ों रूपये की जमीन भू-माफियाओं ने कब्जा रखी है, जिसमें शीर्ष अफसरों के कई बाबू भी साझीदार हैं, साथ ही अधिकांश लेखपाल माफियाओं की गोद में ही पल-बढ़ रहे हैं, जिससे मगरमच्छों की ओर प्रशासन देख भी नहीं रहा है। सोत नदी की बात करें, तो बात आबिद रजा से शुरू होकर, उन पर ही समाप्त कर दी जाती है, जबकि कई किमी लंबी नदी पर आबिद रजा का कब्जा नहीं है, उसे मुक्त कराने की बात नहीं होती। ताजा प्रकरण नबादा के पास स्थित कब्रिस्तान का है, जिस पर दिनदहाड़े कब्जा कर लिया और शेष जमीन को भी कब्जाने का प्रयास किया जा रहा है, पर माफिया के विरुद्ध कोई बात तक सुनने को तैयार नजर नहीं आ रहा है, ऐसे हालातों में पुलिस-प्रशासन और सरकार की फजीहत होना स्वाभाविक ही है।

(गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं)

पढ़ें: शातिर दिमाग व्यक्ति का नाम है डीपी यादव

पढ़ें: गॉड फादर आया, एसएसपी छुट्टी गये, तालाब पर कब्जा शुरू

Leave a Reply