बदायूं जिले में तैनात पुलिस-प्रशासन का एक भी अफसर नियम-कानून नहीं मानता। पुलिस-प्रशासन के अफसरों के मन में जो आता है, वही किया जाता है। अब पुलिस और प्रशासन के अफसर विवाहिता के हत्यारोपी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करना चाह रहे हैं तो, उनसे अब कोई शक्ति कार्रवाई नहीं करा सकती। दस दिन बाद भी हत्यारोपी खुलेआम घूम रहे हैं एवं निजी अस्पताल भी बंद नहीं कराया गया है।
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उल्लेखनीय है कि सिविल लाइन थाना क्षेत्र में स्थित डॉ. बीआर गुप्ता के रामा अस्पताल एवं ट्रॉमा सेंटर में डीएम रोड पर रहने वाली पूजा पत्नी वीरेन्द्र उपाध्याय को पित्त की थैली में पथरी को लेकर भर्ती कराया गया था। 21 मई को ऑपरेशन के दौरान पूजा को नशे का इंजेक्शन लगाया गया, जिसके बाद पूजा की हालत बिगड़ गई। अस्पताल के कर्मचारी पूजा को बरेली लेकर दौड़ भाग गये थे, जहाँ पूजा ने दम तोड़ दिया था।
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परिजनों ने पूजा को नशे की ओवर डोज देने का आरोप लगाते हुए अस्पताल के गेट पर शव रखकर प्रदर्शन किया था, जिसके बाद थानाध्यक्ष और सीओ सिटी ने मुकदमा दर्ज करा कर कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया था। पोस्टमार्टम के दौरान जिला महिला अस्पताल के डॉ. हाकिम सिंह पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंच गये थे, उन्हें देख कर मृतका के परिजन भड़क गये थे और फिर उनकी बेरहमी से पिटाई लगा दी थी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गॉल ब्लेडर नहीं पाया गया, पेट में सात पथरी पाई गईं एवं पेट में खून भी पाया गया था, जो पूजा की मौत के कारण बने। स्पष्ट है कि पूजा के साथ घोर लापरवाही बरती गई थी लेकिन, दस दिन बाद भी न अस्पताल सील किया गया है और न ही पूजा के हत्यारोपियों को गिरफ्तार किया गया है और न ही स्वास्थ्य विभाग ने कोई कार्रवाई की है। एक जान चली गई लेकिन, किसी को कोई अंतर नहीं पड़ रहा। पुलिस-प्रशासन के साथ शहर के लोग मूक दर्शक बने हुए हैं, इस मनमानी के विरुद्ध एक आवाज सुनाई नहीं दे रही है।
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