बदायूं की जिला पंचायत अध्यक्ष मधू चंद्रा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू हो गई है। दो दर्जन से अधिक सदस्यों ने बैठक कर प्रस्ताव किया एवं शपथ पत्र भी तैयार कराये, जो शीघ्र ही जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को प्रेषित कर दिए जायेंगे। जिला पंचायत के इतिहास में दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है। पहली बार सपा की सरकार में पूनम यादव के विरुद्ध चेतना सिंह यादव को सफलता नहीं मिली थी, इसलिए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर रोचकता और अधिक बढ़ती जा रही है।
बदायूं में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अधिकांशतः स्वर्गीय चौधरी राजेश्वर सिंह का ही कब्जा रहा है। पद महिला के लिए आरक्षित हुआ, तो उनकी पुत्रवधू चेतना सिंह यादव काबिज हो गईं, जो दो बार निरंतर अध्यक्ष चुनी गईं, उन्हें बसपा सरकार में डीपी यादव ने चुनौती दी और अपने साले भारत सिंह यादव की पत्नी पूनम यादव को अध्यक्ष निर्वाचित करा दिया। पूर्ण बहुमत की सपा सरकार आई, तो चेतना सिंह पुनः सक्रिय हो गईं, उनके पति नरेश प्रताप सिंह ने रणनीति बनाई और वे पूनम यादव के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव ले आये, लेकिन सफलता नहीं मिली और फिर पूनम यादव ने ससम्मान अपना कार्यकाल पूर्ण किया। अगली बार अध्यक्ष पद अनूसूचित वर्ग की महिला के लिए आरक्षित हो गया, तो समाजवादी पार्टी ने मधू चंद्रा को प्रत्याशी घोषित किया, जिनके सामने खड़े होने का कोई साहस नहीं जुटा पाया, जिससे वे निर्विरोध निर्वाचित घोषित हुईं, जो ऐतिहासिक पल था। निर्विरोध निर्वाचित होने वाली अध्यक्ष मधू चंद्रा की कुर्सी अब खतरे में नजर आ रही है।
प्रीती सागर ने चुनौती देने को कमर कस ली है। सूत्रों का कहना है कि आज एक बैंकट हॉल में प्रीती सागर के नेतृत्व में 27 जिला पंचायत सदस्यों ने बैठक की और अविश्वास प्रस्ताव तैयार किया। उपस्थित सदस्यों के शपथ पत्र भी तैयार कराये गये। प्रस्ताव जिलाधिकारी के माध्यम से शीघ्र ही अनुमोदन के लिए शासन को प्रेषित कर दिया जायेगा। यह भी बता दें कि मधू चंद्रा पूर्व विधायक आशुतोष मौर्य “राजू” की बहन है एवं प्रीती सागर पूर्व विधायक योगेन्द्र सागर की पत्नी हैं, इनका बेटा कुशाग्र सागर बिसौली (सुरक्षित) विधान सभा क्षेत्र से भाजपा विधायक है। बिसौली क्षेत्र से पहले बिल्सी क्षेत्र सुरक्षित था, तब योगेन्द्र सागर और आशुतोष मौर्य “राजू” बिल्सी क्षेत्र में चुनाव लड़ते थे, इसलिए जिला पंचायत की राजनीति में इन दोनों की ही प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। जब आशुतोष मौर्य “राजू” के पास शक्ति थी, तब योगेन्द्र सागर पर्चा भरने तक का साहस नहीं जुटा पाये थे और अब योगेन्द्र सागर के पास शक्ति है, ऐसे में यह भी देखने वाली बात रहेगी कि आशुतोष मौर्य “राजू” कितना संघर्ष कर पाते हैं। लोगों की नजरें जिला पंचायत की ओर टिक गई हैं। 10 जून को बोर्ड की बैठक प्रस्तावित है, जिसको लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, वहीं भाजपा की जिला पंचायत सदस्य दमयंती वर्मा ने योगेन्द्र सागर के पक्ष में जाने से मना कर दिया है, इस गुटबंदी से पार पाना भी योगेन्द्र सागर के लिए आसान नहीं होगा।
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