आगरा जिले के एक गांव में 11 श्मशान होने के बावजूद दाह संस्कार को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। नट जाति में पहली मौत हुई तो, वे आम श्मशान की जगह ठाकुरों के श्मशान में दाह संस्कार करने पहुंच गये, जिस पर ठाकुरों ने विरोध करना शुरू कर दिया। विरोध के बाद नट शव लेकर दूसरी जगह चले गये और फिर वहां दाह संस्कार किया।
बताते हैं कि आगरा जिले की तहसील किरावली के अछनेरा थाना क्षेत्र की ग्राम पंचायत रायभा की करीब 25 हजार की आबादी है, यहाँ 11 श्मशान हैं, जिनमें अधिकाँश श्मशान जातियों को आरक्षित हैं। गांव में ठाकुर, ब्राह्मण, मुसलमान, जाटव और वैश्य सहित तमाम जातियों के लोग रहते हैं, इनके सैकड़ों वर्ष पुराने निजी श्मशान बताये जाते हैं। तीन श्मशान आम भी बताये जाते हैं, जहाँ कोई भी दाह संस्कार कर सकता है लेकिन, जातियों के लिए आरक्षित निजी श्मशानों में दूसरी जाति के लोग शव लेकर नहीं जाते।
बताते हैं कि लगभग 20 साल पहले इस गाँव में नट जाति के कुछ परिवार आकर बस गये हैं। नट जाति में पहली बार पूजा नाम की एक महिला की मृत्यु हो गई। परिजन पूजा का शव लेकर ठाकुरों के निजी श्मशान पर लेकर पहुंच गये, इसकी जानकारी ठाकुरों को लगी तब तक चिता लगाई जा चुकी थी, ठाकुरों ने विरोध जताया तो नट जाति के लोग चिता से शव निकाल कर दूसरी जगह ले गये और फिर वहां दाह संस्कार किया।
हालाँकि प्रधान पति बनवारी लाल और थाना पुलिस ने समझाने का प्रयास किया कि दाह संस्कार यहीं कर लेने दिया जाये पर, परंपरा पड़ जाने के डर से ठाकुर राजी नहीं हुए। उधर आगरा के एसएसपी बबलू कुमार का कहना है कि प्रकरण की जांच सीओ कर रहे हैं। सीओ की रिपोर्ट आने के बाद यथोचित कार्रवाई की जायेगी, वहीं राजनेताओं द्वारा उछालने के कारण मामला तूल पकड़ता नजर आ रहा है।
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