उत्तर प्रदेश में नेताओं के बीच विवादित प्रतियोगिता चलती नजर आ रही है। मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा नेताओं के बीच ही चलता नजर आ रहा है। वैसे भाजपा की ओर से तो मैदान में कई खिलाड़ी हैं, लेकिन सपा की ओर से सर्वाधिक शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री आजम खां ही जुटे हुए नजर आते हैं। उन्हें जहां भी अवसर मिलता है, वहां वे साधू-संतों से लेकर प्रधानमंत्री तक पर बरसने लगते हैं। रविवार की रात को तो उनके निशाने पर मीडिया भी रहा। शब्दों की बाजीगरी दिखाते हुए उन्होंने मीडिया को धंधेबाज तक कह दिया।
बदायूं स्थित गाँधी ग्राउंड में आयोजित एक कार्यक्रम में आजम खां ने कहा कि लोकतंत्र में सबसे बड़ी आवाज जनता है, मीडिया नहीं है। मीडिया का अपना कारोबार है, धंधा है और धंधा चलाने वाले लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं। बोले- न मुल्क की इज्जत, न इंसानियत का अहतराम, न रिश्तों की पाजदारी, न बफा, न खुलूस।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के चौथे पाये में दीमक लग गई है, खून बह रहा है। कटरा सआदतगंज कांड को लेकर उन्होंने तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वह उस वक्त विदेश में थे और वहां भारतीय कहते थे कि मीडिया ने मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा है, भारत को अपराधियों और बलात्कारियों का देश बना दिया है। आरोप था कि झूठी खबर को मीडिया ने गलत तरह से फैला दिया। बोले- विदेशी चैनल पर आपने लाशों से खून बहता हुआ नहीं देखा होगा, लेकिन भारत में लाशों को तब तक दिखाया जाता है, जब तक लाशों में कीड़े न पड़ जायें। बोले- यह मुल्क के साथ दोस्ती नहीं है, बफा नहीं है, आज नहीं, तो कल, पूरा हिंदुस्तान महसूस करेगा।
रामपुर में वाल्मीकि समाज द्वारा लगाये गये जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप को झूठ बताते हुए कहा कि इनको (पत्रकारों) कोई काम तो है नहीं, बादशाह ने झाड़ू दे दी है, उस के तिनके ही गिनते मिलेंगे। बोले- हम तो इनसे (मीडिया) डरते नहीं, इनसे डरते यूं नहीं कि जब यह हमें गाली देते हैं, तो हमारी कौम बड़ी खुश होती है और कहती है कि चलो, कोई तो है, जिसे तुम गाली दे रहे हो। हमारी तो बड़ी सेवा की है, हम तो आपके बड़े शुक्रगुजार हैं, हमें आप भला बताओगे, तो हमारी कौम कहेगी कि बिक गया। हमारा बड़ा सहयोग कर रहे हैं आप, इस सहयोग को खत्म मत करना।
बच्चे पैदा करने वाले विवादित बयान पर उन्होंने कहा कि किसी ने मशविरा दिया, हमारे हिंदू भाईयों को, कैसे बच्चे पैदा होते हैं? हमने कहा कि कैसे होते हैं, यह मशविरा भी हम से लो। अगर, कैसे का तुम्हें मालूम होता, तो तुम्हारे होते, यह भी हम से पूछो। बोले- हम गरीब लोग हैं, इसलिए बच्चे ज्यादा पैदा करते हैं। बोले- कोई काम नहीं है, बीवी क्लब नहीं जा सकती, यारों की महफिल में नहीं जा सकती, उसकी दोस्तें नहीं होतीं, वो बीवी होती है और शौहर होता है, फिर खानदान भी बड़ा होता है। बोले- साध्वी जी को दुःख होता है, खुद तो साध्वी हैं, लेकिन दूसरों को चालीस बच्चे पैदा करने का मशविरा देती हैं। मीडिया उसका प्रचार करता है, उसकी मजम्मत नहीं करता, उसकी निंदा नहीं करता कि एक औरत का इतना बड़ा अपमान कि धर्म और मजहब के नाम पर काम करने वाले लोग औरत को यह मशविरा दें कि चार पिल्ले नहीं, चालीस बच्चे पैदा करें, यह मीडिया है हमारा?
नरेंद्र मोदी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि बादशाह ने कहा था कि सौ दिन के अंदर हर शख्स के खाते में बीस लाख नहीं पहुंचा, तो जो उन्होंने करने के लिए कहा था, वो अल्फाज इस्तेमाल नहीं कर सकते, क्योंकि ऐसे बादशाह के लिए क्या कहें, जिसके खुद अपने कपड़े बिक गये, जो अपने लिबास की हिफाजत नहीं कर सका, वो मेरी गुदड़ी की हिफाजत क्या करेगा? सोने की चिड़िया कहलाने वाला हिंदुस्तान, उसके बादशाह के कपड़े अजायबघर में रखा जाने चाहिए थे, वो भी भू माफिया खरीद कर ले गया, जिसने नजरें गड़ाई हुई हैं किसान की जमीन पर, वो बादशाह का लिबास ले गया, अब वो पेंट उठा कर देखेगा कि यह दाहिनी टांग है बादशाह की और यह बाईं टांग है बादशाह की, यह कोट है बादशाह का, इसमें छत्तीस इंच की छाती रहा करती थी, आज मेरे पास है। उन्होंने कहा कि हमारा बादशाह एक दिन में आठ जोड़े बदलता है। बोले- नंगे-भूखों, बेबस किसानों तुम्हारी जमीन का क्या होगा, तुम्हारी फसलों का क्या होगा, बारिशों ने तुम्हारी कमर तोड़ दी, इसका क्या होगा? बोले- बादशाह को इससे क्या लेना, उसे तो पेरिस की हवायें और फिजायें भा गईं। जिस बादशाह को 125 करोड़ के हिंदुस्तान में सत्तर फीसदी किसानों के आंसू पोंछने चाहिए थे, वो पेरिस में हैं। उन्होंने नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान पर व्यंग्य करते हुए कहा कि पहले बादशाह तलवार चलाता था, हमारा बादशाह झाड़ू चलाता है। वाह, क्या काम दिए हो बादशाह।
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