बाहुबलि और धनबलि डी.पी. यादव और उनके परिवार के लोगों से दूरी बना चुकी भारतीय जनता पार्टी झुक गई है। सैद्धांतिक राजनीति का दावा करने वाली भाजपा ने बाहुबलि और धनबलि डी.पी. यादव के विवादित भतीजे जितेन्द्र यादव को न सिर्फ पार्टी में ले लिया है, बल्कि बदायूं विधान परिषद क्षेत्र से टिकट भी दे दिया है, जिससे अधिकाँश लोग स्तब्ध नजर आ रहे हैं।
कौन हैं जितेन्द्र यादव?
जितेन्द्र यादव की एक मात्र पहचान बाहुबलि और धनबलि डी.पी. यादव के भतीजे के रूप में ही है। अपने राष्ट्रीय परिवर्तन दल से डी. पी. यादव सहसवान विधान सभा क्षेत्र से वर्ष- 2007 में विधायक चुने गये, लेकिन बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद बसपा में सम्मलित हो गये। सरकार का लाभ उठाते हुए उन्होंने बदायूं क्षेत्र से जितेन्द्र यादव को एमएलसी बनवा लिया था। फिलहाल डी. पी. यादव भाटी हत्या कांड में देहरादून की जेल में सजा काट रहे हैं।
जितेन्द्र यादव भी विवादित व्यक्ति हैं, उन पर भी आरोप लगते रहे हैं और जेल जा चुके हैं। 11 अक्टूबर 2013 को गाजियाबाद में जीटी रोड पर साईं उपवन के सामने एक प्लॉट पर कब्जा करने को लेकर जितेंद्र यादव पर पुलिस से भिड़ने का आरोप लगा। एसओ सिहानी गेट प्रमोद गौतम ने आरोप लगाया कि जितेन्द्र यादव ने उनके साथ अभद्रता की। अभद्रता करने के आरोप में जितेन्द्र और उनके तीन साथी अलीगढ़ के ओमप्रकाश और सिहानी के संदेश व संजू यादव को गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया।
पिछले दिनों बसपा ने भी जितेन्द्र यादव को पार्टी से निकाल दिया, जिससे जितेन्द्र यादव छटपटा रहे थे। हांलाकि कस्बा सहसवान स्थित डीपी यादव महाविद्यालय में वे आज 14 फरवरी को राष्ट्रीय परिवर्तन दल के कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करने वाले थे, इस बीच खबर आ गई कि भाजपा ने उन्हें पार्टी में ले लिया है और बदायूं विधान परिषद क्षेत्र से टिकट भी दे दिया, यह सूचना जैसे ही आम हुई, वैसे ही अधिकांश लोग स्तब्ध रह गये और तरह-तरह के सवाल करने लगे कि भाजपा ऐसा कैसे कर सकती है? भाजपा डी. पी. यादव के भतीजे को पार्टी में कैसे ले सकती है? भाजपा जमीन कब्जाने के आरोप में जेल जा चुके जितेन्द्र यादव को पार्टी में कैसे ले सकती है? भाजपा के पास चुनाव लड़ाने के लिए कई साफ-सुधरी छवि के लोग थे, तो बसपा से निकाले गये दागी जितेन्द्र को टिकट क्यूं दिया गया? लोग तो यह तक कहते सुने गये कि भाजपा से ब्लैक लिस्टिड जितेन्द्र को ग्रीन सिग्नल क्यूं और किस ने दे दिया?, इसको लेकर और भी कई तरह की चर्चायें आम तौर पर की जा रही हैं। खैर, जो भी सही, लेकिन स्वच्छ छवि के साथ मिशन- 2017 में जुटने का दावा करने वाली भाजपा को गहरा आघात पहुंचा है, जिसका दुष्परिणाम विधान सभा चुनाव में नजर आयेगा।
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