डायलॉग इंडिया पत्रिका द्वारा तीसरे डायलॉग इंडिया कॉन्क्लेव का आयोजन 24 जून 2017 को आईआईटी दिल्ली के सहयोग से आईआईटी दिल्ली में किया गया, इस आयोजन में एआईसीटीई भी सहयोगी थी। कार्यक्रम में उच्च शिक्षा में तकनीकी अभिनवता को बढ़ावा देने के लिए एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था, जिसमे देश भर से आए कई शैक्षणिक संस्थानों ने अपनी तकनीकी अभिनवता को प्रदर्शित किया, इन संस्थानों ने तकनीकी रूप से अपने मौलिक और नए विचारों को मॉडल के रूप में प्रदर्शित किया। प्रदर्शनी में आईआईटी दिल्ली, रिवेरा मोबाइल, एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, एससीएमएस स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी, कृष्णा इंजीनियरिंग कॉलेज, आरसी पटेल इंस्टीट्युट ऑफ टेक्नोलोजी, केसीजी कॉलेज ऑफ टेक्नोलोजी, द्रोणाचार्य कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, जीएलए यूनिवर्सिटी मथुरा, मेहर चंद पोलिटेक्निक और ईस्टैंडइन संस्थानों ने भाग लिया। संस्थानों के प्रतिनिधियों ने अपनी तकनीकी दक्षता और अभिनवता को प्रदर्शित किया। प्रदर्शनी में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले संस्थानों को पुरस्कार दिए गए। दो तृतीय पुरस्कार केसीजी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, एससीएमसी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग को और एक द्वितीय पुरस्कार एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज को मिला, इस कार्यक्रम में आईआईटी दिल्ली के पास हुए विद्यार्थियों द्वारा भी अपने विभिन्न प्रोजेक्ट्स की प्रदर्शनी लगाई हुई थी। करीब बीस विद्यार्थियों ने अपने प्रोजेक्ट्स प्रदर्शित किए थे।
शनिवार को दिन भर चले इस आयोजन में भारत भर से आए विद्वानों एवं शिक्षाविदों ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में उद्घाटन सत्र में सांसद रमेश विधूड़ी मुख्य अतिथि थे। उन्होंने शिक्षा और डिग्री के बीच की दूरी बताते हुए मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने आत्म विकास परक शिक्षा पर जोर दिया, साथ ही उन्होंने मोदी सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में उठाए जा रहे विभिन्न कदमों के बारे में बताया। प्रथम सत्र में अर्चना दत्ता, पूर्व महानिदेशक दूरदर्शन डॉ. कमल तावरी, पूर्व सचिव सरकार भारत प्रो. एसके अत्रे, आईआईटी दिल्ली के प्रो. वी.के. गोस्वामी, एक्स वीसी सनराइज यूनिवर्सिटी, संगम युनिवर्सिटी, वर्तमान में वीपी एशियाई अकादमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविज़न, पवन सिन्हा आध्यात्मिक गुरु ने भारत में उच्च शिक्षा में सुधार की आवश्यकता अर्थात द नीद ऑफ वेकअप इंडिया फॉर रिफोर्म एंड ट्रांस्फोर्मेशन इन हाईअर एजुकेशन, वेक अप इंडिया: इनोवेट, मैनुफैक्चर, ग्लोबलाइज़, विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए तथा शिक्षा में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। शिक्षा के वर्तमान स्वरुप में बदलाव के साथ-साथ शिक्षा पर प्राथमिक स्तर से सुधार करने पर जोर दिया गया।
इससे पूर्व डायलॉग इंडिया पत्रिका के समूह संपादक अनुज अग्रवाल ने इस कानक्लेव की आवश्यकता को बताते हुए कहा कि वे निजी क्षेत्र में शिक्षा के स्वरुप से बहुत ही व्यथित हुए थे, और शिक्षा के नाम पर होने वाले घोटाले उनके मन को मथते रहते थे, कहीं न कहीं संवाद हीनता की कमी खलती थी। सरकारी संस्थानों और निजी संस्थानों के बीच में संवाद हीनता उन्हें परेशान करती थी और यही कारण है कि वे कानक्लेव के इस स्वरुप के साथ आए। और इस वर्ष उन्हें आईआईटी और एआईसीटीई का भी सहयोग मिला और कानक्लेव का यह स्वरुप सामने आया, जिसमें तीन विभिन्न पहलू हैं, पहला शिक्षा के क्षेत्र में ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा, दूसरा है विद्यार्थियों द्वारा नए प्रोजेक्ट और तीसरा तकनीकी और अभिनवता पर पेपर प्रेजेंटेशन।
दूसरा सत्र गुणवत्ता परक शिक्षा और इनोवेशन में निजी संस्थान प्रमोटर/स्वामियों की भूमिका पर था, जिसमें कमांडर वीके जेटली, प्रख्यात पत्रकार वेद प्रताप वैदिक, मेजर जनरल दिलावर सिंह, प्रोफेसर नवीन रामपाल, तथा आईआईटी रुड़की से प्रो. सोनल अत्रे एवं शीला तावरी वक्ता थे, इस सत्र में निजी शिक्षा संचालकों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा हुई। और उनके सामने आने वाली चुनौतियों के समाधान पर कई महत्वपूर्ण विचार आए। श्री वैदिक के अनुसार शिक्षा में परिवर्तन का समय है और शिक्षा के लिए क्रान्ति का समय आ गया है। शिक्षा के क्षेत्र में आन्दोलन छेड़ने का समय आ गया है।
तीसरे सत्र में भारतीय मूल्य प्रणाली, उसकी प्रासंगिकता और उच्च शिक्षा में परिवर्तन के आवश्यकता पर चर्चा हुई और इस चर्चा में भारतीय मूल्यों को शिक्षा में पुनर्स्थापित करने की आवाश्यकता पर जोर दिया गया। इस सत्र में कमांडर वीके जेटली, प्रो. एस के अत्रे, डॉ. सुधीर सिंह, डॉ. वाल्मीकि प्रसाद, डॉ. एनके जैन, एवं प्रो. सीमा शर्मा ने उच्च शिक्षा पर भारतीय मूल्यों पर चर्चा की। और इस बात पर आम सहमति बनी कि भारतीय मूल्यों की पुनर्स्थापना हुए बिना भारत में शिक्षा में सुधार नहीं हो सकता है।
अंतिम सत्र में केंद्रीय राज्य महिला बाल विकास मंत्री कृष्णा राज मुख्य अतिथि थीं। उन्होंने भी भारतीय मूल्यों की पुनर्स्थापना पर जोर दिया। उन्होंने डायलॉग इंडिया के ग्रुप एडिटर अनुज अग्रवाल को बधाई देते हुए पत्रिका द्वारा निजी संस्थानों की रैंकिंग किए जाने पर भी बधाई दी। कृष्णा राज ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम आगे भी जारी रहने चाहिए।
कानक्लेव का एक हिस्सा तकनीक और इनोवेशन में पेपर प्रेजेंटेशन का भी रहा। इनमें तकनीकी और अभिनवता पर पूरे देश भर से आए विभिन्न संस्थानों से 30 से अधिक पेपर प्रस्तुत किए गए। इस पेपर प्रेजेंटेशन में संदीप फाउंडेशन सिजौल और बिरला इंस्टीट्युट ऑफ टेक्नोलोजी मेरेसा, वाईएमसीए टेक्नीकल यूनिवर्सिटी फरीदाबाद, अन्नामलाई यूनिवर्सिटी चेन्नई सहित कई अन्य संस्थानों ने भी भाग लिया और अपने पेपर के माध्यम से नए और मौलिक विचारों को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में विभिन्न देशों के राजदूत भी शामिल हुए। विजयी प्रतियोगियों को फिलिस्तीन और स्लोवेनिया के राजदूत फेक एच. एच. हमजा और बोरिस जलोस्विक द्वारा पुरस्कार के चेक को वितरित किया गया।
कार्यक्रम में कत्थक नृत्यांगना अनु सिन्हा के समूह द्वारा जय शंकर प्रसाद द्वारा रचित कालजयी कृति कामायनी पर एक नृत्यनाटिका की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में दिन भर चले मंथन से उतपन्न विचारों को सरकार को सौंपने पर भी एक सत्र था। सत्र के अंत में पत्रिका की प्रबंध निदेशक डॉ. सारिका अग्रवाल एवं पत्रिका के समूह सम्पादक अनुज अग्रवाल ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया और इस तरह के संवाद को आगे जारी रखने पर भी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
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