बदायूं लोकसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के लोकप्रिय सांसद धर्मेन्द्र यादव ने जीएसटी बिल पर लोकसभा में बोलते हुए कई अहम सुझाव रखे। उन्होंने उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य और किसानों का विशेष ध्यान रखने की बात कही।
लोकसभा में बोलते हुए सांसद ने कहा कि कांग्रेस के जिस जीएसटी बिल का भाजपाई विरोध करते थे, गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी विरोध करते थे, उसी बिल को आज एनडीए सरकार लाई है। उन्होंने बिल का समर्थन करते हुए सुझाव दिया कि खाद्यान्न पर टैक्स की स्थिति स्पष्ट नहीं है, जिसे स्पष्ट किया जाए। दरें तय करने का तरीका स्पष्ट नहीं है, साथ ही कहा कि जीएसटी काउंसिल में केंद्र सरकार की भागीदारी एक तिहाई और राज्यों की भागीदारी दो तिहाई होगी, जिससे वीटो पॉवर केंद्र सरकार के पास रहेगी। धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश की आबादी 22 करोड़ है, जबकि कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जिनकी आबादी चार से पन्द्रह लाख तक है, सब को बराबरी पर नहीं रख सकते, ऐसे में यह भी ध्यान रखना होगा कि किसी के साथ अन्याय न हो, इसलिए काउंसलिंग में भागीदारी का आधार आबादी को बनाया जाए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश को मिलने वाले शेयर में भेद-भाव और देरी होती है, इसलिए ऐसी व्यवस्था बनाई जाए कि कि प्रदेश और केंद्र का शेयर स्वतः चला जाए। उन्होंने टैक्स का बेस रेट दस लाख रूपये तक करने की मांग की। सांसद ने किसानों को फसलों के समर्थन मूल्य का डेढ़ गुना दाम देने की मांग करते हुए कहा कि किसानों के उत्पाद को टैक्स से मुक्त रखा जाए।
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