दुनिया भर में पत्रकार के रूप में पहचान कायम करने वाले कुलदीप नैयर नहीं रहे। कुलदीप नैयर स्वयं में संस्थान थे, उन्होंने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक कलम चलाई। बुधवार की रात करीब साढ़े बारह बजे उन्होंने अंतिम सांस लीं।
कुलदीप नैयर तीन दिनों से दिल्ली के एक अस्पताल में थे, जहाँ उन्हें आईसीयू में रखा गया था। 95 वर्षीय कुलदीप नैयर को डॉक्टर बचा नहीं पाए, उनका अंतिम संस्कार आज करीब एक बजे दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान गृह में होगा, उनका जन्म 14 अगस्त, 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। आत्म कथा सहित वे कई किताबें लिख चुके हैं, उनकी आत्मकथा “बियांड द लाइंस” अंग्रेजी में थी, जिसका हिंदी में “एक जिंदगी काफी नहीं: नाम से अनुवाद हो चुका है।
पत्रकारिता जगत में पितामह भीष्म के नाम से चर्चित कुलदीप नैय्यर उर्दू प्रेस रिपोर्टर थे, जिसके बाद भारत सरकार के प्रेस सूचना अधिकारी के पद पर रहे, फिर यूएनआई, द स्टैट्समैन, इंडियन एक्सप्रेस के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे थे, वे पच्चीस वर्षों तक द टाइम्स लंदन के संवाददाता रहे। 1996 में वे संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी रहे। 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था।
पत्रकारिता और लेखन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान लिए उन्हें 1997 में राज्यसभा के लिए भी मनोनीत किया गया था। नैयर डेक्कन हेराल्ड (बेंगलुरु), द डेली स्टार, द संडे गार्जियन, द न्यूज, द स्टेट्समैन, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून पाकिस्तान, डॉन पाकिस्तान, सहित 80 से अधिक समाचार पत्रों के लिए 14 भाषाओं में कॉलम लिखते रहे। पत्रकारिता की दुनिया में कुलदीप नैयर पत्रकारिता अवॉर्ड भी दिया जाता है। 23 नवम्बर, 2015 को वरिष्ठ पत्रकार और लेखक कुलदीप नैयर को पत्रकारिता में आजीवन उपलब्धि के लिए रामनाथ गोयनका स्मृ़ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आपातकाल के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
(गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)